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भगवती सूत्र-श. ८ उ. २ योग उपयोगादि में ज्ञान अज्ञान
कठिन शब्दार्थ सलेस्सा-जिसमें कृष्णादि छह लेश्या में की कोई लेझ्या हो, अलेस्सा-लेश्या रहित, सकसाई-क्रोधादि चार कषाय युक्त, सवेयगा-स्त्री, पुरुष और नपुंसक वेद-भावयुक्त ।
भावार्थ-९४ प्रश्न-हे भगवन् ! सयोगी जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ?
९४ उत्तर-हे गौतम ! उनका कथन सकायिक जीवों (सूत्र ३८) के समान जानना चाहिये । मनयोगी, वचनयोगों और काययोगी जीवों का कथन भी इसी तरह जानना चाहिये । अयोगी अर्थात् योग रहित जीवों का कथन सिद्धों (सूत्र ३०) के समान जानना चाहिये ।
९५ प्रश्न-हे भगवन् ! सलेशी जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ?
९५ उत्तर-हे गौतम ! उनका कथन सकायिक जीवों (सूत्र ३८) के समान जानना चाहिये।
९६ प्रश्न-हे भगवन् ! कृष्णलेशी जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ?
९६ उत्तर-हे गौतम ! उनका कथन सेन्द्रिय-जीवों (सूत्र ३५) के समान जानना चाहिये । इसी प्रकार नीललेश्या, कापोतलेश्या, तेजोलेश्या और पदम लेश्या वाले जीवों का कथन जानना चाहिये । शुक्ललेश्या वाले जीवों का कथन सलेशी जीवों (सूत्र ९५) के समान जानना चाहिये । और अलेशी जीवों का कथन (सूत्र ३०) को तरह जानना चाहिये । • ९७ प्रश्न-हे भगवन् ! सकषायी जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ?
९७ उत्तर-हे गौतम ! उनका कथन सेन्द्रिय जीवों (सूत्र ३५) के समान जानना चाहिये । इसी प्रकार क्रोध-कषायी, मान-कषायी, मायाकषायी और लोमकषायी जीवों के विषय में भी जान लेना चाहिये ।
९८ प्रश्न-हे भगवन् ! अकषायो जीव ज्ञानी हैं, अज्ञानी हैं ?
९८ उत्तर-हे गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं । उनमें पांच ज्ञान भजना से पाये जाते हैं। ____ ९९ प्रश्न-हे भगवन् ! सवेदक (वेद सहित) जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ?
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