________________
भगवती सूत्र - श. ८ उ. २ ज्ञान दर्शनादि लब्धि
जाता है। क्योंकि दर्शन तो रुचि (श्रद्धा) रूप है और रुचि सभी जीवों में होती है ।
सम्यग्दर्शन लब्धि वालों में पांच ज्ञान भजना से पाये जाते हैं । सम्यग्दर्शन लब्धि रहित जीव, या तो मिथ्यादृष्टि होते हैं, या मिश्रदृष्टि । उनमें तीन अज्ञान भजना से पाये जाते हैं। मिश्र दृष्टि में भी तात्त्विक सद्बोध नहीं होने के कारण अज्ञान ही होता है ।
१३४१
मिथ्यादर्शन लब्धि वाले जीव अज्ञानी ही होते हैं । उनमें तीन अज्ञान भजना से पाये जाते हैं । मिथ्यादर्शन लब्धि रहित जीव, या तो सम्यग्दृष्टि होते हैं, या मिश्र-दृष्टि होते हैं । सम्यग्दृष्टि जीवों में पांच ज्ञान भजना से और मिश्र दृष्टि जोवों में तीन अज्ञान भजना से पाये जाते हैं ।
सम्यग् मिथ्यादर्शन लब्धि वाले तथा अलब्धि वाले जीवों का कथन मिथ्यादर्शन लब्धि वाले और अलब्धि वालें जीवों के समान कहना चाहिये ।
चारित्र लब्धि वाले जीव ज्ञानी ही होते हैं । उनमें पांच ज्ञान भजना से पाये जाते हैं। क्योंकि केवली भगवान् भी चारित्री ही हैं। चारित्र अलब्धि वाले जीव, ज्ञानी और अज्ञानी दोनों तरह के होते हैं । जो ज्ञानी हैं, उनमें भजना से चार ज्ञान (मनः पर्यव ज्ञान के सिवाय) होते हैं । क्योकि असंयती जीवों में पहले के दो अथवा तीन ज्ञान होते हैं और सिद्ध भगवान् में केवलज्ञान होता है। सिद्धों में चारित्रलब्धि नहीं है, वे 'नोचारित्री नोअचारित्री' हैं | चारित्र लब्धि रहित जो अज्ञानी हैं, उनमें तीन अज्ञान भजना से पाये जाते हैं ।
चारित्र के सामायिक चारित्र आदि पांच भेद कहे गये हैं। उनके स्वरूप का वर्णन पहले कर दिया गया है । सामायिक चारित्र लब्धि वाले जीव ज्ञानी ही होते हैं। उनमें चार ज्ञान (केवलज्ञान के सिवाय) भजना से पाये जाते हैं । सामायिक चारित्र अलब्धि वाले जीवों में से जो ज्ञानी हैं, उनमें पांच ज्ञान भजना से पाये जाते हैं। क्योंकि उनमें छेदोपस्थापनीय आदि चारित्र पाये जाते हैं, तथा सिद्ध भगवान् में भी सामायिक चारित्र नहीं है । सामायिक चारित्र अलब्धि वाले जो अज्ञानी हैं, उनमें तीन अज्ञान भजना से पाये जाते हैं ।
Jain Education International
जिस प्रकार सामायिक चारित्र लब्धि और अलब्धि वाले जीवों का कथन किया गया है, उसी प्रकार छेदोपस्थापनीय, परिहार- विशुद्धि, सूक्ष्म- सम्पराय और यथाख्यात चारित्र • लब्धि वाले और अलब्धिवाले जीवों का भी कथन करना चाहिये। विशेषता यह है कि यथाख्यात चारित्र लब्धि वाले जीवों में पांच ज्ञान भजना से पाये जाते हैं । तात्पर्य यह है कि सामा
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org