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________________ भगवती सूत्र- श. ७ उ. १ कर्म रहित जीव की गति १०८५ १२ प्रश्न-हे भगवन् ! निःसंगपन से, नीरागपन से और गतिपरिणाम से कर्म रहित जीव की गति किस प्रकार होती है ? १२ उत्तर-हे गौतम ! जैसे कोई छिद्र रहित और निरुपहत (बिना टूटा हुआ) सूखा तुम्बा हो, उस सूखे हुए तुम्बे पर क्रमपूर्वक अत्यन्त संस्कारयुक्त डाभ और कुश लपेट कर, उस पर मिट्टी का लेप कर दिया जाय और फिर उसे धूप में सूखा दिया जाय । इसके बाद क्रमशः डाभ और कुश लपेटते हए आठ बार उसके ऊपर मिट्टी का लेप कर दिया जाय । इसके बाद थाह रहित अतरणीय और पुरुष प्रमाण से अधिक गहरे पानी में उसे डाल दिया जाय, तो हे गौतम ! वह तुम्बा मिट्टी के आठ लेपों से भारी हो जाने एवं अधिक वजन वाला हो जाने से क्या पानी के उपरितल को छोड़कर नीचे पथ्वीतल पर जा बैठता है ? गौतमस्वामी ने कहा-हाँ भगवन् ! वह तुम्बा नीचे पृथ्वीतल पर बैठ जाता है। भगवान् ने पूछा हे-गौतम ! पानी में पड़े रहने के कारण ज्यों ज्यों उसका लेप गल कर उतरता जाय यावत् उस पर से आठों लेप उतर जाय, तो क्या वह तुम्बा पृथ्वीतल को छोड़ कर पानी के उपरितल पर आ जाता है ? गौतमस्वामी ने कहा-हां, भगवन् ! वह पानी के उपरितल पर आ जाता है। भगवान ने फरमाया-हे गौतम ! इसी प्रकार निःसंगपन से, नीरागपन से और गतिपरिणाम से कर्म रहित जीव की भी गति होती है। - १३ प्रश्न-कहं णं भंते ! बंधणछेयणयाए अकम्मस्स गई पण्णायइ ? ___ १३ उत्तर-गोयमा ! से जहाणामए कलसिंबलिया इ वा, मुग्गसिंबलिया इ वा, माससिंबलिया इ वा, सिंबलिसिंबलिया इ वा, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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