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- भगवती सूत्र-श. ८ उ. २ ज्ञान अज्ञान की भजना के बीस द्वार
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होते हैं।
५३ प्रश्न-हे भगवन् । मनुष्य-मवस्थ जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? ... ५३ उत्तर-हे गौतम ! इनका कथन सकायिक जीवों (स. ३८) के समान जानना चाहिये।
५४ प्रश्न-हे भगवन् ! देव-भवस्थ जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ?
५४ उत्तर-हे गौतम ! इनका कथन निरयभवस्थ जीवों (सू. ५१) के समान जानना चाहिये । अभवस्य जीवों का कथन सिद्धों (सू. ३०) के समान जानना चाहिये।
५५ प्रश्न-भवसिद्धिया णं भंते ! जीवा किं णाणी० ? ५५ उत्तर-जहा सकाइया। ५६ प्रश्न-अभवसिद्धियाणं पुच्छा।
५६ उत्तर-गोयमा ! णो णाणी, अण्णाणी, तिण्णि अण्णाणाई भयणाए। ____५७ प्रश्न-णोभवसिद्धिया णोअभवसिद्धिया णं भंते ! जीवा० ?
५७ उत्तर-जहा सिद्धा। ५८ प्रश्न-सण्णीणं पुच्छा।
५८ उत्तर-जहा सइंदिया। असण्णी जहा बेइंदिया। णोसण्णी णोअसण्णी जहा सिद्धा।
कठिन शब्दार्थ--सण्णी- मन वाले जीव । भावार्थ-५५ प्रश्न-हे भगवन् ! भवसिद्धिक(भव्य जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ?
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