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भगवती सूत्र---श. ८ उ. २ ज्ञान अज्ञान की भजना के बीस द्वार
___३१ उत्तर-गोयमा ! णाणी वि अण्णाणी वि; तिण्णि णाणाई णियमा, तिण्णि अण्णाणाइं भयणाए ।
३२ प्रश्न-तिरियगइया णं भंते ! जीवा किं णाणी अण्णाणी ? ३२ उत्तर-गोयमा ! दो णाणा, दो अण्णाणा णियमा । ३३ प्रश्न-मणुस्सगइया णं भंते ! जीवा किं णाणी, अण्णाणी ?
३३ उत्तर-गोयमा ! तिण्णि णाणाई भयणाए, दो अण्णाणाई णियमा । देवगइया जहा णिरयगइया ।
३४ प्रश्न-सिद्धगइया णं भंते ! ३४ उत्तर-जहा सिद्धा। कठिन शब्दार्थ--णिरयगइया--नरक गति में जाते हुए।
भावार्थ-३१ प्रश्न-हे भगवन् ! निरयगतिक (नरक में जाते हए) जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ?
___३१ उत्तर-हे गौतम ! वे ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी है । जा जानी हैं, वे नियमा तीन ज्ञान वाले हैं और जो अताती हैं, वे भजना से जीन अज्ञान वाले हैं।
३२ प्रश्न-हे भगवन् ! तिर्यञ्चगतिक (तियंञ्चगति में जाते हुए) जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ?
३२ उत्तर-हे गौतम ! उनको नियमा दो ज्ञान या दो अज्ञान होते हैं। ३३ प्रश्न-हे भगवन् ! मनुष्यगतिक जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ?
३३ उत्तर-हे गौतम! उनको भजना से तीन ज्ञान होते हैं और नियमा दो अज्ञान होते है । देवगतिक जीवों का वर्णन, निरयगतिक जीवों के समान जानना चाहिये।
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