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भगवती सूत्र - श. ८ उ. २ ज्ञान अज्ञान की भजना के बीस द्वार १३०७
२९ प्रश्न - हे भगवन् ! पञ्चाद्रय तिर्यञ्च योनिक जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ?
२९ उत्तर-- हे गौतम ! वे ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी है। जो ज्ञानी हैं उनमें से कितने ही दो ज्ञान वाले हैं और कितने ही तीन ज्ञान वाले हैं । इस प्रकार तीन ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से जानने चाहिये । औधिक जीवों के समान मनुष्यों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । वाणव्यन्तरों का कथन नैरयिकों के समान जानना चाहिए। ज्योतिषो और वैमानिकों में नियमा तीन ज्ञान और तीन अज्ञान होते हैं ।
३० प्रश्न - हे भगवन् ! सिद्ध भगवान् ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ?
३० उत्तर - हे गौतम! सिद्ध भगवान् ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं । वे नियमा एक केवलज्ञान वाले हैं ।,
विवेचन - - सम्यग्दृष्टि नैरयिक जीवों को भवप्रत्यय अवधिज्ञान होता है । इसलिये वे नियमा ( अवश्य ) तीन ज्ञान वाले होते हैं । जो अज्ञानी होते हैं, उनमें कितने ही दो अज्ञान वाले होते हैं । जब कोई असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च, नरक में उत्पन्न होता है, तब उसको अपर्याप्त अवस्था में विभंगज्ञान नहीं होता । इसलिये दो अज्ञान ही होते हैं । जो मिथ्यादृष्टि संज्ञौ पञ्चेन्द्रिय, नरक में उत्पन्न होता है, तो उसको अपर्याप्त अवस्था में भी विभंगज्ञान होता है । इसलिये उसकी अपेक्षा तीन अज्ञान कहे गये हैं ।
इन्द्रिय, इन्द्रिय और चौइन्द्रिय जीवों में जिस औपशमिक सम्यग्दृष्टि मनुष्य ने अथवा तिर्यञ्च ने, विकलेन्द्रिय का आयुष्य पहले बांध लिया है, वह उपशम समकित का वमन करता हुआ उनमें उत्पन्न होता है । उस जीव को अपर्याप्त अवस्था में सास्वादन सम्यग्दर्शन होता है । वह जघन्य एक समय और उत्कृष्ट छह आवलिका तक रहता है, तबतक वह ज्ञानी कहलाता है। इसके बाद वह मिथ्यात्व को प्राप्त होकर अज्ञानी बन जाता है । इसलिये विकलेन्द्रियों में ज्ञान का कथन किया गया है ।
ज्ञान अज्ञान की भजना के बीस द्वार
३१ प्रश्न - णिरयगइया णं भंते ! जीवा किं णाणी, अण्णाणी ?
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