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________________ भगवती सूत्र-श. ८ उ. २ ज्ञानी अज्ञानी १३०५ २६ उत्तर-जहेव णेरड्या तहेव, तिण्णि गाणाणि णियमा, तिण्णि य अण्णाणाणि भयणाए, एवं जाव थणियकुमारा । कठिन शब्दार्थ--मयणाए-मजना से (विकल्प से)। भावार्थ-२५ प्रश्न-हे भगवन् ! नरयिक जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ? ___२५ उत्तर-हे गौतम ! नरयिक जीव ज्ञानी भी है और अज्ञानी भी हैं। उनमें जो ज्ञानी हैं, वे नियमा (अवश्य) तीन ज्ञान वाले होते हैं । यथा-मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी। उनमें जो अज्ञानी हैं, उनमें से कुछ दो अज्ञान वाले हैं, और कुछ तीन अज्ञान वाले हैं। इस प्रकार तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से होते हैं। २६ प्रश्न-हे भगवन् ! असुरकुमार ज्ञानी हैं या अज्ञान है ? २६ उत्तर-है गौतम ! जिस प्रकार नरयिकों का कथन किया गया है, उसी प्रकार असुरकुमारों का भी कथन करना चाहिये । अर्थात् जो ज्ञानी हैं, वे . अवश्य ही तीन ज्ञान गले हैं और जो अज्ञानी हैं, वे भजना से तीन अज्ञान वाले हैं। इस प्रकार स्तनितकुमारों तक कहना चाहिये। २७ प्रश्न-पुढविकाइया णं भंते ! किं णाणी, अण्णाणी ? २७ उत्तर-गोयमा ! णो णाणी, अण्णाणी । जे अण्णाणी ते णियमा दुअण्णाणी-मइअण्णाणी य सुयअण्णाणी य। एवं जाव वणस्सइकाइया। २८ प्रश्न-बेइंदियाणं पुच्छा। २८ उत्तर-गोयमा ! गाणी वि अण्णाणी वि । जे णाणी ते णियमा दुग्णाणी, तं जहा-आभिणिबोहियणाणी य सुयणाणी य । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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