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________________ भगवती सूत्र - श. उ. १ चार आदि द्रव्यों के परिणाम असंखेज्जा अनंता य दव्वा भाणियव्वा दुयामंजोएणं, तियासंजोएणं, जाव दससंजोएणं, वारससंजोएणं उवजुंजिऊणं जत्थ जत्तिया संजोगा उट्ठेति ते सव्वे भाणियव्वा, एए पुण जहा णवमer uaere भणिहामो तहा उवजुंजिऊण भाणियव्वा, जाव असंखेज्जा अनंता एवं चेव, णवरं एवकं पदं अन्भहियं, जाव अहवा अनंता परिमंडलसंठाणपरिणया, जाव अनंता आययसंठाणपरि ४२८५ गया । कठिन शब्दार्थ - उवजुं जिऊणं - उपयोग लगाकर, मणिहाम - कहेंगे । भावार्थ - ६७ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या चार द्रव्य प्रयोग-परिणत होते हैं, या मिश्र-परिणत होते हैं, या वित्रसा परिणत होते हैं ? Jain Education International ६७ उत्तर - हे गौतम ! चार द्रव्य प्रयोग- परिणत होते हैं, या मिश्रपरिणत होते हैं, या विस्रसा परिणत होते हैं । अथवा ( १ ) एक प्रयोग- परिणत होता है और तीन मिश्र-परिणत होते हैं । अथवा (२) एक प्रयोग- परिणत होता है और तीन वित्रसा परिणत होते हैं । अथवा (३) दो द्रव्य प्रयोग- परिणत होते हैं और दो मिश्र-परिणत होते हैं । अथवा (४) दो द्रव्य प्रयोग- परिणत होते हैं और दो वित्रसा परिणत होते हैं । अथवा (५) तीन द्रव्य प्रयोग- परिणत होते हैं और एक मिश्र-परिणत होता है । अथवा (६) तीन द्रव्य प्रयोग- परिणत होते हैं और एक विस्रसा परिणत होता है । अथवा (७) एक मिश्र-परिणत होता है और तीन वित्रसा परिणत होते हैं। अथवा (८) दो द्रव्य मिश्र-परिणत होते हैं और दो द्रव्य वित्रसा परिणत होते हैं । अथवा (९) तीन द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं और एक द्रव्य विलसा-परिणत होता है । अथवा (१०) एक द्रव्य प्रयोग- परिणत होता है, एक द्रव्य मिश्र-परिणत होता है और दो द्रव्य विसा- परिणत होते हैं । अथवा ( ११ ) एक द्रव्य प्रयोग- परिणत होता है, बो For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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