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भगवती मूत्र-श. ८ उ. १ एक द्रव्य परिणाम
अणुतरोववाइयदेवपंचिंदियवेउब्वियमीसासरीरकायप्पयोगपरिणए ।
भावार्थ-४४ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि एक द्रव्य वैक्रिय-शरीर काय-प्रयोगपरिणत होता है, तो क्या एकेन्द्रिय वक्रिय-शरीर काय प्रयोग परिणत होता है, अथवा यावत् पंचेन्द्रिय वैक्रिय-शरीर काय-प्रयोग-परिणत होता है ? . ____४४ उत्तर-हे गौतम ! वह एकेन्द्रिय वक्रिय-शरीर काय-प्रयोग-परिणत होता है, अथवा पंचेंद्रिय वैक्रिय-शरीर काय-प्रयोग-परिणत होता है।
४५ प्रश्न- हे भगवन् ! यदि एक द्रव्य एकेंद्रिय वैक्रिय-शरीर काय प्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वायुकायिक एकेंद्रिय वैक्रिय शरीर काय-प्रयोग-परिणत होता है, अथवा अवायुकायिक (वायुकायिक जीवों के सिवाय) एकेंद्रिय वक्रियशरीर काय प्रयोग-परिणत होता है ?
४५ उत्तर-हे गौतम! वह एक द्रव्य वायुकायिक एकेंद्रिय वैक्रिय-शरीर कायप्रयोग-परिणत होता है। परंतु अवायुकायिक एकेंद्रिय वैक्रिय-शरीर काय-प्रयोग परिणत नहीं होता। इसी प्रकार इस अभिलाप द्वारा प्रज्ञापना सूत्र के इक्कीसवें 'अवगाहना संस्थान' पद में वैक्रिय शरीर के सम्बन्ध में कथित वर्णन के अनुसार यहाँ भी कहना चाहिये । यावत् पर्याप्त सर्वार्थसिद्ध-अनुत्तरौपपातिक कल्पातीत वैमानिक देव पंचेंद्रिय वैक्रिय-शरीर काय-प्रयोग-परिणत होता है, या अपर्याप्त सर्वार्थसिद्ध अनुत्तरोपपातिक कल्पातीत वैमानिक देव पंचेंद्रिय वैक्रिय-शरीर कायप्रयोग-परिणत होता है।
४६ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि एक द्रव्य वैक्रिय-मिश्र-शरीर काय-प्रयोग परिणत होता है, तो क्या एकेंद्रिय वैक्रिय मिश्र-शरीर काय प्रयोग-परिणत होता है, अयवा यावत् पंचेंद्रिय वैक्रिय-मिश्र-शरीर काय प्रयोग-परिणत होता है ?
. ४६ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार वैक्रिय-शरीर काय-प्रयोग-परिणत के विषय में कहा है, उसी प्रकार वैक्रिय-मिश्र-शरीर काय प्रयोग-परिणत के विषय में भी कहना चाहिये। परन्तु विशेषता यह है कि वैक्रिय-मिश्र-शरीर काय-प्रयोगदेव और नैरयिक के अपर्याप्त के विषय में और शेष सभी जीवों के पर्याप्त के
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