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________________ १२५८ भगवती सूत्र-श. ८ उ. १ एक द्रव्य परिणाम ३२ उत्तर-एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेण वि, एवं सच्चामोसमणप्पयोगेण वि, एवं असचामोसमणप्पयोगेण वि। ३३ प्रश्न-जइ वइप्पयोगपरिणए कि सचवइप्पयोगपरिणए, मोसवहप्पयोगपरिणए ? ३३ उत्तर-एवं जहा मणप्पयोगपरिणए तहा वइप्पयोगपरिणए वि, जाव असमारंभवइप्पयोगपरिणए वा। कठिन शब्दार्थ-दवे-द्रव्य, जइ – यदि, आरंभ-हिंसा, अणारंभ-अहिंसा, सारंभ-हिंसा का संकल्प, समारंभ-परिताप उत्पन्न करना, सच्चमणप्पयोग-सत्य मन प्रयोग। भावार्थ-२८ प्रश्न-हे भगवन् ! एक द्रव्य क्या प्रयोग-परिणत होता है, मिश्र-परिणत होता है, अथवा विस्रसा-परिणत होता है ? २८ उत्तर-हे गौतम ! एक द्रव्य प्रयोग-परिणत होता है, अथवा मिश्रपरिणत होता है, अथवा विस्त्रसा-परिणत होता है। . २९ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि एक द्रव्य प्रयोग-परिणत होता है, तो क्या मन प्रयोग-परिणत होता है, वचन प्रयोग-परिणत होता है, या काय प्रयोगपरिणत होता है ? ..:२९ उत्तर--हे गौतम ! वह मन प्रयोग-परिणत होता है, या वचन प्रयोग-परिणत होता है, या काय प्रयोग-परिणत होता है। ३० प्रश्न-हे भगवन् ! यदि एक द्रव्य मन प्रयोग परिणत होता है, तो क्या सत्य-मन प्रयोग-परिणत होता है, मषा-मन प्रयोग-परिणत होता है, सत्यमृषा-मन प्रयोग-परिणत होता है, या असत्यामषा-मन प्रयोग-परिणत होता है ? . ३० उत्तर--हे गौतम! वह सत्य मन प्रयोग-परिणत होता है, या मृषामन प्रयोग-परिणत होता है, या सत्यमृषा-मन प्रयोग-परिणत होता है, या असत्यामषा-मन प्रयोग-परिणत होता है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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