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भगवतो मूत्र-स. ७ उ. १० अग्नि के जलाने वुझाने की क्रिया
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पात्रादि उपकरण वाले दो पुरुष, परस्पर एक दूसरे के साथ, अग्निकाय का समारम्भ करें। उनमें से एक पुरुष अग्निकाय को जलावे और एक पुरुष अग्निकाय को बुझावे, तो हे भगवन् ! उन दोनों पुरुषों में से कौनसा पुरुष महाकर्म वाला, महाक्रिया वाला, महाआश्रव वाला और महावेदना वाला होता है और कौनसा पुरुष अल्प कर्मवाला, अल्प क्रियावाला, अल्प आश्रव वाला और अल्प वेदना वाला होता है ? अर्थात् जो पुरुष अग्निकाय को जलाता है, वह महाकर्मवाला आदि होता है, या जो पुरुष अग्नि काय को बुझाता है, वह महाकर्म वाला आदि होता है ?
९ उत्तर-हे कालोदायी ! उन दोनों पुरुषों में से जो पुरुष अग्निकाय को जलाता है, वह पुरुष महाकर्म वाला यावत् महावेदना वाला होता है और जो पुरुष, अग्निकाय को बुझाता है, वह अल्प कर्म वाला यावत् अल्प वेदना वाला होता है। .
प्रश्न-हे भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहते हैं कि उन दोनों पुरुषों में से जो पुरुष, अग्निकाय को जलाता है, वह महाकर्म वाला आदि होता है और जो अग्निकाय को वुझाता है, वह अल्प कर्म वाला आदि होता है ? ___ उत्तर-हे कालोदायिन् ! उन दोनों पुरुषों में से जो पुरुष, अग्निकाय को जलाता है, वह पृथ्वीकाय का बहुत समारम्भ करता है, अप्काय का बहुत समारम्भ करता है, अग्निकाय का अल्प समारंभ करता है, वायुकाय का बहुत समारम्भ करता है, वनस्पतिकाय का बहुत समारम्भ करता है और सकाय का बहुत समारम्भ करता है । और जो पुरुष, अग्निकाय को बुझाता है, वह पृथ्वीकाय का अल्प समारम्भ करता है, अप्काय का अल्प समारम्भ करता है, वायुकाय का अल्प समारम्भ करता है, वनस्पतिकाय का अल्प समारम्भ करता है, एवं प्रसकाय का अल्प समारंभ करता है। किन्तु अग्निकाय का बहुत समारम्भ करता है। इसलिये हे कालीदायी ! जो पुरुष अग्निकाय को जलाता है, वह पुरुष महाकर्म वाला आदि है और जो पुरुष अग्निकाय को बुझाता है, वह अल्पकर्म वाला आदि है।
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