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भगवती मूत्र-ग. ७ उ. ६ रथममल संग्राम
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१४ उत्तर-हे गौतम ! सौधर्म देवलोक के अरुणाभ नामक विमान में देवपने उत्पन्न हुआ है। वहां के कितने ही देवों की स्थिति चार पल्योपम की कही गई है, तदनुसार वरुण देव की स्थिति भी चार पल्योपम की है। . प्रश्न-हे भगवन् ! वह वरुणदेव, देवलोक की आयु, भव और स्थिति का क्षय होने पर कहाँ जाएगा, कहाँ उत्पन्न होगा ?
उत्तर-हे गौतम ! वह महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होगा यावत् सभी दुःखों का अन्त करेगा।
१५ प्रश्न-हे भगवन् ! वरुण-नागनत्तुआ का प्रिय बालमित्र, काल के समय काल करके कहां गया, कहाँ उत्पन्न हुआ ?
१५ उत्तर-हे गौतम ! वह सुकुल में (अच्छे मनुष्य कुल में ) उत्पन्न हुआ है।
१६ प्रश्न-हे भगवन् ! वहाँ से काल करके वरुण-नागनत्तुआ का प्रिय बालमित्र कहाँ जायेगा, कहाँ उत्पन्न होगा ?
१६ उत्तर-हे गौतम ! वह महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होगा यावत् सर्व दुःखों का अन्त करेगा।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । ऐसा कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
. विवेचन-महाशिलाकण्टक संग्राम और रथमूसल संग्राम इन दोनों संग्रामों में एक करोड़ अस्सी लाख मनुष्य मारे गये । उनमें से एक वरुण-नागनत्तुआ देवलोक में गया और उसका प्रिय बाल-मित्र मनुष्य गति में गया।
॥ इति मातवें शतक का नववाँ उद्देशक सम्पूर्ण
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