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भगवती मूत्र-टा. ७ उ. ९ महाशिला-कंटक संग्राम
कोणिक राजा, एक हाथी के द्वारा भी शत्र सेना का पराजय करने में समर्थ है। इसके बाद उस कोणिक राजा ने महाशिला-कण्टक संग्राम करते हुए नव मल्लि
और नव लच्छि जो काशी और कौशल देश के अठारह गणराजा थे, उनके महायोद्धाओं को नष्ट किया, घायल किया और मार डाला। उनकी चिन्ह युक्त ध्वजा और पताकाओं को गिरा दिया। जिनके प्राण महासंकट में पड़ गये हैं, ऐसे उन राजाओं को युद्ध में से चारों दिशाओं में भगा दिया।
५ प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-महासिलाकंटए संगामे ?
५ उत्तर-गोयमा ! महासिलाकंटए णं संगामे वट्टमाणे जे तत्थ आसे वा, हत्थी वा, जोहे वा, सारही वा, तणेण वा, पत्तेण वा, कटेण वा, सक्कराए वा अभिहम्मइ सव्वे से जाणेइ महासिलाए अहं अभिहए, से तेणटेणं गोयमा ! महासिलाकंटए संगामे।
६ प्रश्न-महासिलाकंटए णं भंते ! संगामे वट्टमाणे कइ जणसयसाहस्सीओ वहियाओ ?
६. उत्तर-गोयमा ! चउरासीइं जणसयसाहस्सीओ वहियाओ।
७ प्रश्न ते णं भंते ! मणुया णिस्सीला, जाव णिप्पञ्चक्खाणपोहोवपासा, रुट्ठा, परिकुविया, समरवहिया, अणुवसंता कालमासे कालं किचा कहिं गया, कहिं उबवण्णा ? ..७ उत्तर-गोयमा ! ओसणं णरग-तिरिक्ख जोणिएसु उपवण्णा । . कठिन शब्दार्थ-अमिहम्मइ-मारा जाय, अभिहत-मारा गया वहियाओ-मारे गये
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