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भगवती सूत्र-श. ७ उ. ८ आधाकर्म का फल
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उत्तर-हे गौतम ! अविरति की अपेक्षा हाथी और कुन्थुए के जीव को अप्रत्याख्यानिकी क्रिया समान लगती है।
विवेचन-अविरति की अपेक्षा हाथी और कुंथुए को अप्रत्याख्यानिकी क्रिया समान रूप से लगती है । क्योंकि अविरति का सद्भाव दोनों में ममान है ।
आधाकर्म का फल
७ प्रश्न-आहाकम्म णं भंते ! मुंजमाणे किं बंधइ, किं पकरेइ, किं चिणाइ, किं उबचिणाइ ?
७ उत्तर-एवं जहा पढमे सए णवमे उद्देसए तहा भाणियव्यं, जाव सासए पंडिए, पंडियत्तं असासयं ।
___ मेवं भंते ! मेवं भंते ! ति ॐ
॥ सत्तमम्स सयस्स अट्ठमो उद्देसो सम्मत्तो॥ भावार्थ-७ प्रश्न-हे भगवन् ! आधाकर्म आहारादि सेवन करने वाला साधु, क्या बांधता है, क्या करता है, किसका चय करता है, किसका उपचय करता है?
७ उत्तर-हे गौतम ! आधाकर्म आहारादि का सेवन करने वाला साध, आयुष्य कर्म को छोड़कर, शेष सात कर्मों की प्रकृतियों को, यदि वे शिथिल बंध से बन्धी हुई हों, तो उन्हें गाढ़ बन्ध वाली करता है यावत् बारम्बार संसार परिभ्रमण करता है। इस विषयक सारा वर्णन प्रथम शतक के नववे उद्देशक में कहे अनुसार कहना चाहिये। यावत् पण्डित शाश्वत है और पण्डितपन अशाश्वत है, यहां तक कहना चाहिये। . हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । इस
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