________________
भगवती सूत्र-श. ७ उ. ६ छठे आरे के मनुष्यों का स्वरूप
११६५
अंग वाले, अत्यन्त क्रोध, मान, माया और लोम से युक्त, अत्यन्त अशुभ वेदना को भोगने वाले और प्रायः धर्म-संज्ञा (धर्म-भावना) एवं सम्यक्त्व से भ्रष्ट होंगे । इनको अवगाहना एक हाथ प्रमाण होगी। इनका आयुष्य सोलह वर्ष और अधिक से अधिक बीस वर्ष का होगा। ये बहुत पुत्रपौत्रादि परिवार वाले तथा अत्यन्त ममत्व वाले होंगे। इनके बहत्तर कुटुम्ब (आश्रय स्थान वाले) बीजभत (आगामी मनुष्य जाति के लिए बीज रूप) होंगे। ये गंगा और सिन्धु महानदियों के बिलों में और वैताढय पर्वत की गुफाओं का आश्रय लेकर रहेंगे।
२० प्रश्न ते णं भंते ! मणुया कं आहारं आहारोहिंति ?
२० उत्तर-गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं गंगा-सिंधुओ महाणईओ रहपहवित्थराओ अक्खसोयप्पमाणमेत्तं जलं वोज्झिहिंति, से वि य णं जले बहुमच्छ कच्छभाइण्णे णो चेव णं आउबहुले. भविस्सइ । तए णं ते मणुया सूरुगमणमूहुत्तसि य सूरस्थमणमुहुतंसि य बिलेहितो णिद्धाहिति, णिद्धाइत्ता मच्छ-कच्छभे थलाइं गाहेहिंति, गाहित्ता सीयायवतत्तएहिं मच्छ-कच्छएहिं एक्कवीसं वाससहस्साई वित्तिं कप्पेमाणा विहरिस्संति ।
२१ प्रश्न-ते णं भंते ! मणुया णिस्सीला, णिग्गुणा, णिम्मेरा, णिप्पञ्चक्खाण-पोसहोववासा ओसण्णं मंसाहारा, मच्छाहारा, खोदाहारा, कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति, कहिं उववजिहिंति ? . २१ उत्तर-गोयमा ! ओसणं गरग-तिरिक्खजोणिएसु उव
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org