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________________ भगवती सूत्र-श. ६ उ. ७ उपमेय काल तक का काल गणनीय काल है। शीर्षप्रहेलिका १९४ अंकों की संख्या है । यथा-७५८२६३२५३०७३०१०२४११५७९७३५६९९७५६९६४०६२१८९६६८४८०८०१८३२९६ इन ५४ अंकों पर १४० बिन्दियां लगाने से शीर्षप्रहेलिका संख्या का प्रमाण आता है । यहाँ तक का काल गणित का विषय माना गया है । इसके आगे भी काल का परिमाण बतलाया गया है, परन्तु वह उपमा का विषय है, गणित का नहीं । उपमेय काल ५ प्रश्न-से किं तं उवमिए ? ५ उत्तर-उवमिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पलिओवमे य, सागरोवमे य। - ६ प्रश्न-से किं तं पलिओवमे, से किं तं सागरोवमे ? ६ उत्तर'सत्येण सुतिखेण वि छेत्तुं, भेत्तुं च जं किर न सका । तं परमाणु सिद्धा वयंति आई पमाणाणं' ॥ १॥ अणंताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्सण्हसण्हिया इ वा, सहसण्हिया इ वा, उड्ढरेणू इ वा, तसरेणू इ वा, रहरेणू इ वा, वालग्गा इवा, लिक्खा इ वा, जूया, इ वा, जवमज्झे इ वा, अंगुले इ वा, अट्ठ उस्सण्हसण्हियाओ सा एगा सण्हसण्हिया, अट्ठ सहसण्हियाओ सा एगा उड्ढरेणू, अट्ठ उड्ढरेणूओ सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणूओ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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