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________________ भगवती सूत्र-श. ६ उ. ६ मारणान्तिक समुद्घात १०२५ किया, क्योंकि यहाँ उसकी चर्चा का अधिकार नहीं है। यद्यपि इन सात पृथ्वियों का कथन पहले आ चुका है, तथापि समुद्घात-जिसका कि वर्णन आगे किया जा रहा है, उस वर्णन के साथ इन पृथ्वियों के वर्णन का अधिक सम्बन्ध होने से फिर इनका यहाँ कथन किया गया है । इसलिए इसमें पुनरुक्ति दोष नहीं है । मारणान्तिक समुद्घात ३ प्रश्न-जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए णिरयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि णिरयावासंसि गेरइयत्ताए उववजित्तए, से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज वा परिणामेज वा, सरीरं वा बंधेजा ? ३ उत्तर-गोयमा ! अत्थेगइए तत्थगए चेव आहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेजा; अत्यंगइए तओ पडिणियत्तइ, तओं पडिणियत्तित्ता इहमागच्छइ, आगच्छित्ता दोच्चं पि मारणंतियसमुग्याएणं समोहणइ, समोहणित्ता इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए णिरयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि णिरयावासंसि णेरड्यताए उववजित्तए, तओ पच्छा आहारेज वा परिणामेज वा सरीरं । वा बंधेजा, एवं जाव-अहे सत्तमा पुढवी। ४ प्रश्न-जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्धाएणं समोहए समोहणित्ता जे भविए चउसट्ठीए असुरकुमारावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि असुर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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