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________________ १०१४ भगवती सूत्र--श. ६ उ. ५ कृष्ण राजि २५ उत्तर-णो इणटे ममटे। २६ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! कण्हराईणं उराला बलाहया संमेयंति, सम्मुच्छंति, वामं वासंति ? २६ उत्तर-हंता, अस्थि । २७ प्रश्न-तं भंते ! किं देवो पकरेइ, असुरो पकरेइ, णागो पकरेइ ? २७ उत्तर-गोयमा ! देवो पकरेड़, णो असुरो. णो णागो पकरेइ । २८ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! कण्हराईसु बायरे, थणियसहे ? २८ उत्तर-जहा उराला तहा। २९ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! कण्हराईसु बायरे आउकाए. बायरे अगणिकाए, बायरे वणस्मइकाए ? २९ उत्तर-णो इणटे समढे, णण्णत्थ विग्गहगइसमावण्णएणं । भावार्थ-२२ प्रश्न-हे भगवन् ! कृष्णराजियों का आयाम (लम्बाई), विष्कम्भ (विस्तार-चौड़ाई) और परिक्षेप (परिधि) कितना है ? २२ उत्तर-हे गौतम ! कृष्णराजियों का आयाम असंख्य हजार योजन है, विष्कम्भ, संख्येय हजार योजन है और परिक्षेप. असंख्येय हजार योजन है। २३ प्रश्न-हे भगवन् ! कृष्णराजियाँ कितनी मोटी कही गई हैं। २३ उत्तर-हे गौतम ! तीन चुटकी बजावे उतने समय में इस सम्पूर्ण जम्बूद्वीप की इक्कीस बार परिक्रमा कर आवे-ऐसी शीघ्र गति से कोई देव, एक दिन, दो दिन, तीन दिन यावत् अर्द्ध मास तक निरन्तर चले, तो वह देव, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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