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भगवती सूत्र - श. ६ उ ५ तमस्काय
वाली है । वह परमकृष्ण ( महाकाली ) है । उसे देखते ही देव भी क्षोभ को प्राप्त होता है, इसलिए उसमें प्रवेश करने का साहस नहीं करता। यदि कदाचित् कोई देव, उसमें प्रवेश करता है, तो भय के मारे वह काय-गति के अतिवेग से और मनोगति के अतिवेग से उसके बाहर निकल जाता है ।
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१७ प्रश्न - तमुक्कायस्स णं भंते ! कइ णामधेज्जा
पण्णत्ता ? जहा - तमे
१७ उत्तर - गोयमा ! तेरस णामधेज्जा पण्णत्ता, तं इवा, तमुक्काए इ वा, अंधकारे इ वा महंधकारे इ वा. लोगंधकारे इवा, लोगतमिसे इ वा, देवधयारे हवा, देवतमिसे इवा, देवरणे इवा, देववूहे इवा, देवफलिहे इ वा, देवपडिक्खोभे इ वा, अरुणोदए इ वा समुद्दे ।
१८ प्रश्न - तमुक्काए णं भंते! किं पुढविपरिणामे, आउपरि- : गामे, जीवपरिणामे, पोग्गलपरिणामे ?
१८ उत्तर - गोयमा ! णो पुढविपरिणामे, आउपरिणामे वि, जीवपरिणामे वि, पोग्गलपरिणामे वि ।
१९ प्रश्न - तमुक्काए णं भंते ! सव्वे पाणा, भूया, जीवा, सत्ता पुढवीकाइयत्ताए, जाव-तसकाइयत्ताए उववण्णपुव्वा ?
१९ उत्तर - हंता, गोयमा ! असई, अदुवा अणंतक्खुत्तो, णो चेवणं बायरपुढविकाइयत्ताए, बायरअगणिकाइयत्ताए वा ।
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कठिन शब्दार्थ - उबवण्णपुब्वा - पहिले उत्पन्न हो चुके, असई अदुवा अनंतक्खुतोअनेकवार अथवा अनन्तवार ।
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