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भगवती सूत्र-ग. ६ उ. ३ कर्मों के बंधक
हेतु नहीं है। प्रथम के तीन दर्शन वाले (चक्षुदर्शनी, अचक्षुदर्शनी और अवधिदर्शनी) छद्मस्थ वीतरागी और सरागी, ये वेदनीय कर्म को बांधते ही हैं । केवलदर्शनी, सयोगी-केवली वेदनीय कर्म बांधते हैं, किंतु केवलदर्शनी अयोगी-केवली और सिद्ध जीव, नहीं बांधते हैं । इसलिए कहा गया है कि केवलदर्शनी वेदनीय कर्म भजना से बांधते हैं अर्थात् कदाचित् बांधते हैं और कदाचित् नहीं बांधते हैं।
२३ प्रश्न-णाणावरणिजं कम्मं किं पजत्तओ बन्धह, अपज्जतओ बन्धइ, णोपजत्तय-णोअपजत्तए बन्धइ ? ___ २३ उत्तर-गोयमा ! पजत्तए भयणाए; अपज्जत्तए बन्धइ, णोपजत्तय-णोअपजत्तए ण बन्धइ; एवं आउयवजाओ, आउयं हेछिल्ला दो भयणाए, उवरिल्ले ण बन्धइ ।
२४ प्रश्न-णाणावरणिज्जं किं भासए बन्धइ, अभासए० ?
२४ उत्तर-गोयमा ! दो वि भयणाए, एवं वेयणिजवजाओ सत्त वि । वेयणिज भासए बन्धइ, अभासए भयणाए । ..... २५ प्रश्न-णाणावरणिजं किं परित्ते बन्धइ, अपरिते बन्धइ, णोपरित्ते-णोअपरित्ते बन्धइ ? ___२५ उत्तर-गोयमा ! परित्ते भयणाए, अपरित्ते बन्धइ, णोपरित्ते- . णोअपरित्ते. ण बन्धह, एवं आउयवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ, आउयं परित्तो वि, अपरित्तो वि भयणाए, णोपरित्तो गोअपरित्तो ण बन्धह।
२६ प्रश्न-णाणावरणिनं कम्मं किं .आभिणिबोहियणाणी
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