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________________ भगवती सूत्र-श. ३ उ. १ तिष्यक देव की ऋद्धि शक्रेन्द्र के सब सामानिक देवों का जानना चाहिए। किन्तु हे गौतम ! यह विकुर्वणा शक्ति उनका विषयमात्र है, परन्तु सम्प्राप्ति द्वारा इन्होंने कभी इतनी विकुर्वणा की नहीं, करते नहीं और भविष्यत् काल में भी करेंगे नहीं । शकेन्द्र के त्रास्त्रिशक, लोकपाल और अग्रमहिषियों के विषय में चमरेन्द्र की तरह कहना चाहिए, किन्तु इतनी विशेषता है कि ये अपने वैक्रियकृत रूपों से सम्पूर्ण दो जम्बूद्वीप को भरने में समर्थ हैं । बाकी सारा वर्णन चमरेन्द्र की तरह कहना चाहिए। सेवं भंते ! सेवं भंते !! हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, ऐसा कह कर द्वितीय गौतम अग्निभूति अनगार यावत् विचरते हैं। विवेचन-पहले शकेन्द्र की ऋद्धि और विकुर्वणा. शक्ति का वर्णन किया गया, इसलिए उसके बाद उसके सामानिक देवों की ऋद्धि और विकुर्वणा के सम्बन्ध में पूछा गया है, यह प्रसंग प्राप्त ही है । इसके बाद प्रश्नकर्ता ने अपने परिचित श्री तिष्यक अनगार-जो कि काल करके शकेन्द्र के सामानिक देव रूप से उत्पन्न हुए हैं, उनकी ऋद्धि और विकुर्वणा के सम्बन्ध में पूछा है, यह भी प्रसंग प्राप्त ही है। शङ्का-आहार पर्याप्ति, शरीर पर्याप्ति, इन्द्रिय पर्याप्ति, श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति, भाषा पर्याप्ति और मनः पर्याप्ति, य छह पयोप्तियाँ कही गई हैं, किंतु यहाँ पर पांच ही. पर्याप्तियां कही गई हैं, इसका क्या कारण है ? समाधान-"इह तु पञ्चधा भाषामन:-पर्यात्योबहुश्रुताभिमतेन केनापि कारणेन एकत्वविवक्षणात्।" , अर्थ-बहुश्रुत महापुरुषों ने अपने इष्ट किसी कारण से यहाँ (देवों में.) भाषा पर्याप्ति और मनः पर्याप्ति को अलग अलग नहीं गिना है, किंतु दोनों को शामिल रूप में एक ही गिना है । क्योंकि देवों में भाषा पर्याप्ति और मनः पर्याप्ति, दोनों पर्याप्तियां शामिल ही (बहुत कम अंतर से) बंधती हैं । इसलिए यहां पर पांच ही पर्याप्तियां कही गई हैं। मूलपाठ में 'लद्धे, पत्ते, अभिसमण्णागए' ये तीन शब्द आये हैं । इनका विशेषार्थ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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