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________________ भगवती सूत्र--- ग. ६ उ. १ वेदना और निजंग की ग, चना वेयणा अप्पणिज्जरा,अप्पयणा महाणिजरा,अप्पवेयणा अपणिजग ? १२ उत्तर-गोयमा ! अत्थंगड्या जीवा महावयणा महणिजग. अत्थेगड्या जीवा महावेयणा अप्पणिजरा, अत्यंगड्या जीवा अप्प वेयणा महाणिजरा, अत्थेगइया जीवा अप्पवेयणा अप्पणिजग। १३ प्रश्न-से केणटेणं ? १३ उत्तर-गोयमा ! पडिमापडिवण्णए अणगारे महावयगे महाणिजरे, छठ्ठ-सत्तमामु-बुढवीमु णेरड्या महावेयणा अप्पणिजरा, सेलेमि पडिवण्णए अणगारे अप्पवेयणे महाणिजरे, अणुत्तरोववाड्या देवा अप्पवेयणा अप्पणिजग। ॐ मेवं भंते ! मेवं भंते । ति के -महावेयणे य वत्थे कदम-वजणकए य अहिगरणी । तणहत्थे य कवल्ले करण-महावेयणा जीवा ॥ मेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति के ॥ छट्टसए पढमो उद्देसो सम्मत्तो॥ कठिन शब्दार्थ-अत्थेगइया - कितनक, पडिमापडिवण्णए-प्रतिमा (प्रतिज्ञा) प्राप्त किया हुआ, सेलेसि पडिण्णए–गलेशी-पर्वत की तरह स्थिरता प्राप्त । भावार्थ--१२ प्रश्न--हे भगवन् ! जीन, महावेदना और महानिर्जरा वाले हैं, महावेदना और अल्प निर्जरा वाले हैं, अल्पवेदना वाले और महानिर्जरा वाले हैं अथवा अल्प वेदना वाले और अल्प निर्जरा वाले हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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