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________________ ८९८ भगवती सूत्र--श. ५ उ. ८ निग्रंथी पुत्र अनगार के प्रश्न से भी इसी प्रकार जानना चाहिए। द्रव्यादेश से जो पुदगल अप्रदेश हैं, वे क्षेत्रादेश से नियमा-निश्चित रूप से अप्रदेश हैं। कालादेश से कदाचित सप्रदेश और कदाचित् अप्रदेश होते हैं और भावादेश से भी कदाचित् सप्रदेश और कदाचित् अप्रदेश होते हैं । क्षेत्रादेश से जो पुद्गल अप्रदेश होते हैं, वे द्रव्यादेश से कदाचित् सप्रदेश और कदाचित् अप्रदेश होते हैं। कालादेश से और भावादेश से भी मजना-विकल्प से जानना चाहिए। जिस प्रकार अप्रदेशी पुद्गल के विषय में क्षेत्रादेश' का कथन किया है, उसी प्रकार कालादेश और भावादेश का भी कथन करना चाहिए । जो पुद्गल द्रव्यादेश से सप्रदेश होता है, वह क्षेत्रादेश से कदाचित् सप्रदेश और कदाचित् अप्रदेश होता है। इसी तरह कालादेश और भावादेश से भी जान लेना चाहिए । जो पुद्गल क्षेत्रादेश से सप्रदेश होता है, वह द्रव्यादेश से नियमा सप्रदेश होता है । कालादेश से और भावादेश से भजना-विकल्प से होता है । जिस प्रकार सप्रदेशी पुद्गल के विषय में द्रव्यादेश का कथन किया, उसी प्रकार कालादेश और भावादेश का भी कथन करना चाहिए। ३ प्रश्न-एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं दव्वादेसेणं; खेत्तादेसेणं; कालादेसेणं, भावादेसेणं सपएसाणं, अपएसाणं कयरे कयरे जावविसेसाहिया वा ? . ३ उत्तर-णारयपुत्ता ! सव्वत्थोवा पोग्गला भावादेसेणं अपएसा, कालादेसेणं अपएसा असंखेजगुणा, दव्वादेसेणं अपएसा असंखेजगुणा, खेत्तादेसेणं अपएसा असंखेजगुणा, खेत्तादेसेणं चेव सपएसा असंखेजगुणा; दव्वादेसेणं सपएसा विसेसाहिया, कालादेसेणं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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