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________________ भगवती सूत्र-श. ५ उ. ७ परमाणु पुद्गलाद्रि की स्पर्शना ८७१ किं १ देसेणं देसं फुसइ, २ देसेणं देसे फुसइ, ३ देसेणं सव्वं फुसइ, ४ देसेहिं देसं फुसइ; ५ देसेहिं देसे फुसइ, ६ देसेहिं सव्वं फुसइ, ७ सब्वेणं देसं फुसइ, ८ सवेणं देसे फुसइ, ९ सब्वेणं सव्वं फुसइ ? __१३ उत्तर-गोयमा ! १ णो देसेणं देसं फुसइ, २ णो देसेणं देसे फुसइ, ३ णो देसेणं सव्वं फुसइ, ४ णो देसेहिं देसं फुसइ, ५ णो देसेहिं देसे फुसइ, ६ णो देसेहिं सव्वं फुसइ, ७ णो सब्वेणं देसं फुसइ, ८ णो सव्वेणं देसे फुसइ, ९ सव्वेणं सव्वं फुसइ, एवं परमाणुपोग्गले दुप्पएसियं फुसमाणे सत्तम-णवमेहिं फुसइ, परमाणुपोग्गले तिप्पएसियं फुसमाणे णिपच्छिमएहिं तिहिं फुसइ, जहा परमाणुपोग्गले तिप्पएसियं फुसाविओ एवं फुसावेयव्वो जाव-अणंत पएसिओ। कठिन शब्दार्थ-फुसमाणे-स्पर्श करता हुआ। भावार्थ-१३ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या परमाणु पुद्गल, परमाणु पुद्गल को स्पर्श करता हुआ १ एक देश से एक देश को स्पर्श करता है ? अर्थात् एक भाग से एक भाग को स्पर्श करता है ? २ अथवा एक देश से बहुत देशों को स्पर्श करता है ? ३ अथवा एक देश से सब को स्पर्श करता है ? ४ अथवा बहुत देशों से एक देश को स्पर्श करता है ? ५ अथवा बहुत देशों से बहुत देशों को स्पर्श करता है ? ६ अथवा बहुत देशों से सभी को स्पर्श करता है ? ७ अथवा सर्व से एक देश को स्पर्श करता है ? ८ अथवा सर्व से बहुत देशों को स्पर्श करता है ? ९ अथवा सर्व से सर्व को स्पर्श करता है ? १३ उत्तर-हे गौतम ! १ एक देश से एक देश को स्पर्श नहीं करता, २ एक देश से बहुत देशों को स्पर्श नहीं करता, ३.एक वेश से सर्व को स्पर्श Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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