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भगवती सूत्र -श. ५ उ. ६ गृहपति को भाण्ड आदि से लगने वाली क्रिया
मायावत्तिया, अपञ्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणकिरिया सिय कजइ, सिय णो कजइ; अह से भंडे अभिसमण्णागए भवइ, तओ से य पच्छा सव्वाओ ताओ पयणुईभवंति ।
६ प्रश्न-गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स कइए भंडे साइज्जेजा, भंडे य से अणुवणीए सिया, गाहावइस्स णं भंते ! ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कजइ, जाव-मिच्छादसणकिरिया कजइ, कइयस्स वा ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कजइ, जाव-मिच्छादसणकिरिया कजइ ?
६ उत्तर-गोयमा ! गाहावइस्स ताओ भंडाओ आरंभिया किरिया कजइ, जाव-अपच्चक्खाण-मिच्छादंसणवत्तिया किरिया सिय कन्जइ, सिय णो कजइ; कइयस्स णं ताओ सव्वाओ पयणुईभवंति।
कठिन शब्दार्थ-विकिण्णमाणस्स-विक्रय करते हुए, अवहरेज्जा-चुरा कर ले जाय, आरंभियाकिरिया-प्राणी हिंसा से लगने वाली क्रिया, गवेसमाणस्स-ढूंढते हुए, परिग्गहियापरिग्रह-धन धान्यादि पौद्गलिक वस्तु पर ममत्व रखने से लगने वाली, मायावत्तियाकषाय के सद्भाव में लगने वाली, अपच्चक्खाणकिरिया-अप्रत्याख्यान-अविरति से लगने वाली, मिच्छादसणवत्तिया-मिथ्यादर्शन सम्बन्धी, सिय कज्जह-कदाचित् करते हैं, पयणुईप्रतनु (अल्प), अणुवणीए-अनुपनीत (नहीं ले गया) साइज्जेज्जा-सत्यंकार कर स्वीकार अर्थात् साई (बयाना) देकर, लेन देन का सौदा पक्का करे, कइयस्स-क्रय करने वालेखरीदने वाले ।
भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! भाण्ड अर्थात् बरतन आदि किराणा की घस्तुएं बेचते हुए किसी गृहस्थ का वह किराणा कोई चुरा ले जाय । फिर वह
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