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________________ ७७२ भगवती सूत्र - श. ५ उ. १ धातकी खड और पुष्करार्द्ध में सूर्योदय कोण में उदय होकर अग्निकोण में अस्त होते हैं ? इत्यादि प्रश्न । १७ उत्तर - हे गौतम! जिस प्रकार की वक्तव्यता जम्बूद्वीप के सम्बन्ध में कही गई है, उसी प्रकार की सारी वक्तव्यता धातकीखण्ड के सम्बन्ध में भी कहनी चाहिए, परन्तु विशेषता यह है कि पाठ का उच्चारण करते समय सब आलापक इस प्रकार कहने चाहिए १८ प्रश्न - हे भगवन् ! जब धातकीखण्ड के दक्षिणार्द्ध में दिन होता है, तब उत्तरार्द्ध में भी दिन होता है, और जब उत्तरार्द्ध में दिन होता है, लब धातकीखण्ड द्वीप में मेरु पर्वत से पूर्व पश्चिम में रात्रि होती है ? इसी तरह होता है, यावत् रात्रि होती १६ उत्तर - हाँ, गौतम ! यह है । १९ प्रश्न - हे भगवन् ! जब धातकीखण्ड द्वीप में मेरु पर्वत से पूर्व में दिन होता है, तब पश्चिम में भी दिन होता है और जब पश्चिम में दिन होता है, तब धातकीखण्ड द्वीप में मेरु पर्वत से उत्तर दक्षिण में रात्रि होती है ? और इसी अभिलाप से १९ उत्तर - हाँ, गौतम ! यह इसी तरह होता है जानना चाहिए। यावत् ( रात्रि होती है ) २० प्रश्न - हे भगवन् ! जब दक्षिणार्द्ध में प्रथम अवसर्पिणी होती है, तब उत्तरार्द्ध में भी प्रथम अवसर्पिणी होती है, और जब उत्तरार्द्ध में प्रथम अवसर्पिणी होती है, तब धातकीखण्ड द्वीप में मेरु पर्वत से पूर्व पश्चिम में अवसर्पिणी नहीं होती, उत्सर्पिणी नहीं होती, परन्तु अवस्थित काल होता है ? २० उत्तर - हाँ, गौतम ! यह इसी तरह होता है । होता है, यावत् अवस्थित काल जिस प्रकार लवण समुद्र के विषय में कहा गया है, उसी प्रकार कालोदधि के विषय में भी कहना चाहिए। इसमें इतनी विशेषता है कि 'लवणसमुद्र' के स्थान पर 'कालोदधि' का नाम कहना चाहिए । २१ प्रश्न - हे भगवन् ! आभ्यन्तर पुष्करार्द्ध में सूर्य, ईशानकोण में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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