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________________ ७३२ भगवती सूत्र-श. ३ उ. ९ इन्द्रियों के विषय विषय में दक्षिण के इन्द्र की अपेक्षा उत्तर के इन्द्र सम्बन्धी लोकपालों में तीसरे और चौथे के नाम विपरीत क्रम से कहने चाहिए । इन प्रत्येक देवलोकों में ये सोम आदि नाम ही कहने चाहिए, किन्तु भवन पतियों के इन्द्रों के लोकपालों के समान दूसरे दूसरे नाम नहीं कहने चाहिए । सौधर्म आदि बारह देवलोकों में शक्र आदि दस इन्द्र हैं, क्योंकि नववें दसवें देवलोक में एक इन्द्र है और ग्यारहवें बारहवें देवलोक में एक इन्द्र है । इस प्रकार बारह देवलोकों में दस इन्द्र है। ॥ इति तीसरे शतक का आठवां उद्देशक समाप्त ॥ शतक ३ उद्देशक इन्द्रियों के विषय १ प्रश्न-रायगिहे जाव एवं वयासी कइविहे णं भंते ! इंदियविसए पण्णते ? - १ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे इंदियविसए पण्णत्ते, तं जहासोइंदियविसए जाव जीवाभिगमे जोइसिय उद्देसओ णेयव्वो अपरिसेसो। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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