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________________ भगवती सूत्र - श ३ उ. ७ लोकपाल सोमदेव म्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरत्थिमे णं सोहम्मे कप्पे असंखेजाई जोयणाई वीवइत्ता एत्थ णं सकस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारणो संझप्पभे णामं महाविमाणे पण्णत्ते - अद्भुतेरसजोयणसयसहस्सा आयामविक्खंभेणं, उणयालीसं जोयणसयसहस्साईं, बावण्णं च सहस्साई, अटु य अडयाले जोयणसए किंचि विसेसा - हिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते, जा सूरियाभविमाणस्स वत्तव्वया सा अपरिसेसा भाणियव्वा, जाव- अभिसेओ; णवरं - सोमो देवो । संझप्पभस्स णं महाविमाणस्स अहे, सपक्खि, सपडिदि सिं असंखेज्जाई जोयणसहस्सा ओगाहित्ता एत्थ णं सकस्स देविंदस्स, देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सोमा णामं रायहाणी पण्णत्ता - एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं जंबुद्दीव पमाणा; वेमाणियाणं पमाणस्स अद्धं यव्वं, जाव-ओवारियलेणं, सोलस जोयणसहस्साई आयामविक्खभेणं, पण्णासं जोयणसहस्साई, पंच य सत्ताणउए जोयणसए किंचि विसेसू परिक्खेवेणं पण्णत्ते; पासायाणं चत्तारि परिवाडीओ वाओ, सेसा णत्थि । कठिन शब्दार्थ --- वर्डेसिया -- अवतंसक | भावार्थ - १ प्रश्न - राजगृह नगर में यावत् पर्युपासना करते हुए गौतम स्वामी ने इस प्रकार पूछा कि - हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शत्र के कितने लोकपाल कहे गये हैं ? १ उत्तर - हे गौतम ! उसके चार लोकपाल कहे गये हैं । यथा-सोभ, Jain Education International ७०९ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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