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लेसेसु वा ।
योग्य
भगवती सूत्र - श. ३ उ. ४ उत्पन्न होनेवाले जीवों की लेश्या
कठिन शब्दार्थ - जलेसाई - जिस लेश्या के, परियाइत्ता ग्रहण करके, भविए होने
भावार्थ - १७ प्रश्न - हे भगवन् ! जो जीव, नैरयिकों में उत्पन्न होने योग्य । वह कैसी लेश्यावालों में उत्पन्न होता है ?
है
१७ उत्तर - हे गौतम! जीव, जैसी लेश्या के द्रव्यों को ग्रहण करके काल करता है, वैसी ही लेश्यावालों में वह उत्पन्न होता है। वे इस प्रकार हैं- कृष्ण लेश्या, नील लेश्या और कापोत लेश्या । इस तरह जिसकी जो लेश्या हो, उसकी वह लेश्या कहनी चाहिए। यावत् व्यन्तर देवों तक कहना चाहिए ।
१८ प्रश्न - हे भगवन् ! जो जीव, ज्योतिषी देवों में उत्पन्न होने योग्य होता है, वह कैसी लेश्यावालों में उत्पन्न होता है ?
१८ उत्तर - हे गौतम! जो जीव, जैसी लेश्या के द्रव्यों को ग्रहण करके काल करता है वह वैसी ही लेश्या वालों में उत्पन्न होता है । यथा- एक तेजोलेश्या ।
१९ प्रश्न - हे भगवन् ! जो जीव, वैमानिक देवों में उत्पन्न होने योग्य होता है, वह कैसी लेश्यावालों में उत्पन्न होता है ?
१९ उत्तर - हे गौतम! जो जीव जैसी लेश्या के द्रव्यों को ग्रहण करके काल करता है, वह वैसी ही लेश्या वालों में उत्पन्न होता है । यथा-तेजो लेश्या, पद्म लेश्या और शुक्ल लेश्या ।
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विवेचन - परिणमन ( परिवर्तन) सम्बन्धी प्रकरण चल रहा है, इसलिये उसी के सम्बन्ध में दूसरी बात कही जाती है । जिससे आत्मा, कर्मों के साथ रिलष्ट होती है, उसे 'लेश्या' कहते हैं । लेश्या के सम्बन्ध में कहा जा रहा है। जिस किसी भी लेश्या के द्रव्यों को भाव परिणाम पूर्वक ग्रहण करके ही अर्थात् आत्मा में अमुक नियत लेश्या का असर होने के पश्चात् ही जीव मरण को प्राप्त होता है और जिस लेश्या के द्रव्य ग्रहण किये होते है, उसी लेश्यावाले नारक आदि में जीव उत्पन्न होता है। जैसा कि कहा है
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