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________________ भगवती सूत्र- - श. ३ उ. ४ वायुकाय का वैक्रिय शाखा ( डाली ) ५ मूल-प्रवाल ( कोंपल ) ६ मूल-पत्र ७ मूल-पुष्प ८ मूल-फल ९ मूलबीज | १० कन्द-स्कन्ध ११ कन्द-छाल १२ कन्द - शाखा १३ कन्द-प्रवाल १४ कन्द-पत्र १५ कन्द - पुष्प १६ कन्द - फल १७ कन्द - बीज । १८ स्कन्ध - छाल १९ स्कन्ध - शाखा २० स्कन्ध - प्रवाल २१ स्कन्ध-पत्र २२ स्कन्ध - पुष्प २३ स्कन्ध - फल २४ स्कन्ध - बीज । २५ छाल - शाखा २६ छाल - प्रवाल २७ छाल - पत्र २८ छाल - पुष्प २९ छाल – फल ३० छाल - बीज । ३१ शाखा - प्रवाल ३२ शाखा - पत्र ३३ शाखा – पुष्प ३४ शाखा- फल ३५ शाखा - बीज । ३६ प्रवाल- पत्र ३७ प्रवाल- पुष्प ३८ प्रवाल- फल ३९ प्रवाल- बीज | ४० पत्र-पुष्प ४१ पत्र - फल ४२ पत्र - बीज । ४३ पुष्प फल ४४ पुष्प - बीज ४५ फल - बीज । इस ४५ ही पदों में से प्रत्येक पद को लेकर चौभंगी कहनी चाहिये । वायुकाय का वैक्रिय ६ प्रश्न - पभू णं भंते ! वाउकाए एगं महं इत्थिरूवं वा पुरिसरूवं वा हत्थिरूवं वा जाणरूवं वा एवं जुग्ग-गिल्लि - थिल्लि-सीयसंमाणियरूवं वा विउव्वित्तए ? ६ उत्तर - गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, वाउकाए णं विउव्वेमाणे एगं महं पडागासंठियरूवं विउब्वर । ६७३ ७ प्रश्न - पभू णं भंते! वाउकाए एगं महं पडागासंठियं रूवं विउब्वित्ता अगाई जोयणाई गमित्तए । ७ उत्तर - हंता, पभू । ८ प्रश्न - से भंते! किं आयइटीए गच्छछ, परिड्ढीए गच्छछ ? ८ उत्तर - गोयमा ! आयड्ढीए गच्छछ, णो परिड्ढीए गच्छछ, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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