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________________ भगवती सूत्र - श. ३ उ. २ इन्द्र की ऊर्ध्वादि गति २५ उत्तर - हे गौतम! एक समय में देवेन्द्र देवराज शत्र, सब से कम क्षेत्र नीचे जाता है, उससे तिच्र्च्छा संख्येय भाग जाता है और उससे संख्येय भाग ऊपर जाता है । २६ प्रश्न - हे भगवन् ! असुरेन्द्र असुरराज चमर का ऊर्ध्व गति विषय, अधोगति विषय और तिर्यग्गति विषय, इन सब में कौनसा विषय, किस विषय से अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक है ? ६४१ २६ उत्तर - हे गौतम ! असुरेन्द्र असुरराज चमर एक समय में जितना भाग (क्षेत्र) ऊपर जाता है, उससे तिच्र्च्छा संख्येय भाग जाता है और उससे नीचे संख्येय भाग जाता है । वज्र सम्बन्धी गति का विषय शक्रेन्द्र की तरह जानना चाहिए, किन्तु इतनी विशेषता है कि गति का विषय विशेषाधिक कहना चाहिए । २७ प्रश्न - सकस्स णं भंते! देविंदस्स देवरण्णो उवयणकालस्स य, उप्पयणकालस्स य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा, बहुआ वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ? २७ उत्तर - गोयमा ! सव्वत्थोवे सकस्स देविंदस्स देवरपणे उड्टं उप्पयणकाले, उवयणकाले संखेज्जगुणे । - चमरस्स वि जहा सकस्स, णवरं सव्वत्थोवे उवयणकाले, उप्पयणकाले संखेज्जगुणे । २८ प्रश्न - वज्जस्स पुच्छा ? २८ उत्तर - गोयमा ! सव्वत्थोवे उप्पयणकाले, उवयणकाले विसेसाहिए । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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