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भगवती सूत्र-श. १ उ. १ नागकुमार देवों का वर्णन
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२४ प्रश्न-हे भगवन् ! नागकुमार देव कितने समय में श्वासोच्छ्वास लेते हैं ?
२४ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य सात स्तोक में और उत्कृष्ट महत पृथक्त्व में अर्थात् दो मुहूर्त से लेकर नव मुहूर्त के भीतर श्वास लेते हैं और निःश्वास छोड़ते हैं।
२५ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या नागकुमार आहारार्थी हैं ? २५ उत्तर-हाँ, गौतम ! आहारार्थी हैं।
२६ प्रश्न-हे भगवन् ! कितने समय के बाद नागकुमार देवों को आहार की अभिलाषा उत्पन्न होती है ?
२६ उत्तर-हे गौतम ! नागकुमार देवों का आहार दो प्रकार का हैआभोगनिर्वतित और अनाभोग निर्वतित । अनाभोग निर्वतित आहार को अभिलाषा प्रतिसमय निरन्तर उत्पन्न होती है। और आभोग निर्वतित आहार की अभिलाषा जघन्य एक अहोरात्र के बाद और उत्कृष्ट दिवसपृथक्त्व अर्थात् दो दिन से लेकर नव दिन तक का समय बीतने के बाद होती है। शेष सारा वर्णन असुरकुमारों की तरह समझना चाहिए । इसी प्रकार सुवर्णकुमारों से लेकर स्तनितकुमारों तक समझना चाहिए।
विवेचन-यहाँ पर नागकुमार देवों की जो देशोन (कुछ कम) दो पल्योपम की उत्कृष्ट स्थिति कही है वह उत्तर दिशा के नागकुमार देवों की अपेक्षा समझनी चाहिए। कहा है
'दाहिणदिवडपलियं, बो देसूणुत्तरिल्लाणं' . अर्थात्-दक्षिण दिशा के नागकुमारों की उत्कृष्ट स्थिति डेढ पल्योपम की और --- उत्तर दिशा के नागकुमारों की उत्कृष्ट स्थिति देशोन दो पल्योपम कही गई है।
___सुवर्णकुमार, विद्युत्कुमार, अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, दिशाकुमार, वायुकुमार और स्तनितकुमार, इन आठ की स्थिति, उच्छ्वास आदि का वर्णन नागकुमार की तरह कह देना चाहिए।
यहाँ यह आशंका हो सकती है कि असुरकुमार आदि दस भवनपतियों के दस दण्डक माने गये हैं और सात नरक के जीवों का एक ही दण्डक माना गया है। इसका
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