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________________ ४९६ भगवती सूत्र-श. २ उ. ५ गरम पानी का कुण्ड अभिनिस्सवइ । से कहमेयं भंते ! एवं ? ___४७ उत्तर-गोयमा ! ज णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति । जाव जे ते एवं परूवेंति मिच्छं ते एवमाइक्खंति, जाव-सव्वं नेयव्वं । अहं पुण गोयमा ! एवं आइक्खामि भासेमि पन्नवेमि परूवेमि-एवं खलु रायगिहस्स नयरस्स बहिया वेभारपव्वयस्स अदूरसामंते एत्थ णं महातवोवतीरप्पभवे नामं पासवणे पण्णत्ते, पंच धणुसयाई आयामविक्खंभेणं णाणादुमसंडमंडिउद्देसे सस्सिरीए पासादीए दरिसणिजे अभिरूवे पडिरूवे, तत्थ णं बहवे उसिणजोणिया जीवा य, पोग्गला य उदगत्ताए वकमंति, विउक्कमंति, चयंति, उववति । तव्वइरिते वि य णं सया समियं उसिणे उसिणे आउयाए अभिनिस्सवइ, एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवे पासवणे, एस णं गोयमा महातवोवतीरप्पभवस्स पासवणस्स अट्टे पण्णत्ते। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर वंदइ नमसइ । ॥ पंचमो उद्देसो सम्मतो॥ विशेष शमों के अर्थ-हरए-हद-बह, बलाहया-बलाहक-मेघ, संसेयंति-संस्वेदित होते हैं उत्पन्न होने लगते हैं, तब्बइरिते-कुण्ड भर जाने पर अतिरिक्त, उसिणे-गरम, पास Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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