SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 385
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३६६ भगवती सूत्र-श. १ः१० परमाणु के विभाम : यह कथन ठीक है ? मिलना और बिखरना जिसका धर्म हो उसे 'पुद्गल' कहते हैं । पुद्गल का वह छोटे से छोटा भाग जिसका कोई भाग न हो सके, उसे 'परमाणु' कहते हैं। ३१७ उत्तर-गोयमा ! जं णं ते अण्णउत्थिया एवमाइपखंति, जाव-चेदणं वेदेति वत्तव्वं सिया । जे ते एवं आहिंसु, मिच्छा ते एवं आहिंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि-एवं खलु चलमाणे चलिए, जाव-निजरिजमाणे निजिण्णे। .. ३१८-दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति । कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति ? दोण्हें परमाणुपोग्गलाणं अस्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति। ते भिजमाणा दुहा कन्नति; दुहा कजमाणा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ परमाणुपोग्गले भवंति। ___३१९-तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, कम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति ? तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति । ते भिजमाणा दुहा वि तिहा वि कजंति । दुहा कजमाणा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ । तिहा कजमाणा तिण्णि परमाणुपोग्गला भवंति । एवं जावचत्तारि। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy