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________________ भगवती सूत्र - श. १ उ. १० परमाणु के विभाग और भाषा अभाषा ३६३ ३१२ - “ पुवि भासा भासा । भासिज्जमाणी भासा अभासा । भासासमयविक्कतं च णं भासिया भासा ।" ३१३ – “जा सा पुव्विं भासा भासा । भासिज्जमाणी भासा अभासा | भासासमयविइक्कंतं च णं भासिया भासा । सा किं भासओ भासा ? अभासओ भासा ? अभासओ णं सा भासा । णो खलु सा भासओ भासा ।” ३१४ - "पुवि किरिया दुक्खा । कज्जमाणी किरिया अदुक्खा । किरियासमयविश्चकंतं च णं कडा किरिया दुक्खा ।” ३१५ - “जा सा पुव्विं किरिया दुक्खा । कज्जमाणी किरिया अदुक्खा । किरियासमयविक्कतं च णं कडा किरिया दुक्खा । सा किं करणओ दुक्खा ? अकरणओ दुबखा ? अकरणओ णं सा दुक्खा । णो खलु सा करणओ दुक्खा, सेवं वत्तव्वं सिया " । ३१६ - अकिच्चं दुःखं, अफुसं दुक्खं, अकज्जमाणकडं दुक्खं अकट्टु अकट्टु पाण-भूय-जीव-सत्ता वेदणं वेदंति इति वत्तव्वं सिया ।" ३१७ प्रश्न - से कहमेयं भंते ! एवं ? विशेष शब्दों के अर्थ - अण्णउत्थिया - अन्यतीर्थिक, साहणंति-चिपटते हैं, सिणेहकाएस्नेहकाय = चिकनाहट, मिज्जमाना - भेद करने पर, दिवढे डेढ़, सासए - शाश्वत, सयासदा समियं - अच्छी तरह, भासिज्जमाणी-बोली जाती हुई, भासिया-बोली गई, मासासमयविक्तं - भाषा का समय बीत जाने पर, अकिवं अकृत्य, अंकज्जमाणकडं - अक्रिय Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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