SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 307
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र -- श. १ उ. ७ नारक जीवों का आहारादि माणे - उद्वर्तता हुआ निकलता हुआ, उबवण्णे - उत्पन्न, पढ मिल्लेणं- पहले के साथ । भावार्थ - २३१ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीवों में उत्पन्न होता हुआ नारकी जीव, क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या एक भाग से सर्व भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या सर्व भाग .... एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता हैं ? या सर्व भाग से सर्व भागों का आश्रय करके उत्पन्न होता है ? २८८ २३१ उत्तर - हे गौतम! नारकी जीव, एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न नहीं होता, एक भाग से सर्व भाग को आश्रित करके उत्पन्न नहीं होता और सर्व भाग से एक भाग को आश्रित करके भी उत्पन्न नहीं होता, किन्तु सर्व भाग से सर्व भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है । नारकी जीव के समान वैमानिकों तक इसी प्रकार समझना चाहिए । २३२ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीवों में उत्पन्न होता हुआ नारकी जीव, क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है ? या एक भाग से सर्व भाग को आश्रित करके आहार करता है ? या सर्व भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है ? अथवा सर्व भाग से सर्व भाग को आश्रित करके आहार करता है ? २३२ उत्तर - हे गौतम ! नारकियों में उत्पन्न होता हुआ नारकी जीव, एक भाग से एक भाग को आश्रितं करके आहार नहीं करता, एक भाग से सर्व भाग को आश्रित करके आहार नहीं करता, किन्तु सर्व भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, या सर्व भागों से सर्व भागों को आश्रित करके आहार करता है । २३३ प्रश्न- हे भगवन् ! नारकियों में से उबर्तता हुआ-निकलता हुआ नारकी जीव क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके निकलता है ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न करना चाहिए । २३३ उत्तर- हे गौतम ! जैसे उत्पन्न होते हुए के विषय में कहा है वैसा ही उद्वर्तन के विषय में वण्डक कहना चाहिए । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy