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- २८० . भगवती सूत्र-श. १ उ. ६ जीव पुद्गल सम्बन्ध wwwmarawaimamanawwwwwwwwwwwwwwwwwwrammammummmmmmmmmmmmmm
को जीवों ने संगृहीत कर रखा है।
शंका-'अजीव, जीवों के आधार रहे हुए हैं' और 'अजीवों को जीवों ने संगृहीत कर रखा है,' इन दोनों वाक्यों के अर्थ में क्या अन्तर है ?
_समाधान-'अजीव, जीवों के आधार रहे हुए हैं। इस प्रथम वाक्य में आधार आधेय भाव का कथन किया गया है । 'अजीवों को जीवों ने संगृहीत कर रखा है' इस दूसरे वाक्य में संग्राह्य संग्राहक भाव का कथन किया गया है । यह दोनों वाक्यों के अर्थ में भिन्नता है । दूसरे वाक्य में आधार आधेय भाव भी है. क्योंकि जो संग्राह्य होता है वह आधेय भी होता है । जैसे कि मालपुए के द्वारा तेल संग्राह्य है, तो तेल संग्राह्य भी है और आधेय भी है। इसी तरह यहां भी समझना चाहिए । तथा 'जीवों को कर्मों ने संगृहीत कर रखा है. क्योंकि संसारी जीव उदयप्राप्त कर्म के अधीन रहे हुए हैं । जो जिसके वश रहा हुआ है, वह उसमें रहः हुआ होता है, जैसे कि घड़े के रूपादि घड़े के वश हैं, इसलिए वे घड़े में रहे हुए हैं । इसी तरह 'अजीवों ने जीवों को संगृहीत कर रखा है । इस वाक्य में भी आधार आधेय भाव समझना चाहिए।
जिस प्रकार मशक के दृष्टांत से यह बतलाया गया है कि पानी का आधार वायु है । उसी प्रकार आकाश और तनु वातादि में भी आधार आधेय भाव समझ लेना चाहिए।
तात्पर्य यह है कि-कर्मयुक्त संसारी जीव में और अजीव में आधार आधेय भाव है और इसी से संसार की स्थिति है।
जीव पुद्गल सम्बन्ध
२२६ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! जीवा य, पोग्गला य अण्णमण्णबद्धा, अण्णमण्णपुट्टा, अण्णमण्णओगाढा, अण्णमण्णसिणेहपडिबद्धा, अण्णमण्णघडताए चिटुंति ?
२२६ उत्तर-हंता, अत्थि। २२७ प्रश्न-से केपट्टेणं भंते ! जाव-चिट्ठति ?
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