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________________ २५४ भगवती सूत्र-श. १ उ. ५ पञ्चेन्द्रियादि के स्थिति आदि . बहुत पाये जाते हैं। विकलेन्द्रिय सम्बन्धी कथन पृथ्वीकायिक की तरह कहना चाहिए, परन्तु लेश्या .. द्वार में तेजोलेश्या नहीं कहना चाहिए । विकलेन्द्रिय जीव-सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि होते. है। सम्यग्दृष्टि में अस्सी भंग कहना चाहिए। विकलेन्द्रिय जीव मिश्रदृष्टि नहीं होते। विकलेन्द्रिय जीव ज्ञानी और अज्ञानी दोनों तरह के होते हैं । ज्ञानी में मतिज्ञान और श्रुतज्ञान ये दो ज्ञान पाये जाते हैं और इनमें अस्सी भंग होते हैं । अज्ञानी में मति अज्ञान और श्रुत अज्ञान ये दो अज्ञान होते हैं और इनमें अभंगक है। विकलेन्द्रियों में काययोग और वचनयोग ये दो योग होते हैं, मनोयोग नहीं होता। बाकी सब पहले की तरह करना चाहिए। __१९४-पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया तहा भाणियव्वा । नवरं-जेहिं सत्तावीसं भंगा तेहिं अभंगयं कायव्वं । जत्थ असीति तत्थ असीतिं चेव । - विशेष शब्दों के अर्थ-पंचिदियतिरिक्खजोणिया-पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च योनिक । भावार्थ-१९४-जैसा नारको जीवों के विषय में कहा गया है, वैसा ही पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि वाले जीवों के विषय में भी समझना चाहिए। विशेषता यह है कि नारकी जीवों के सम्बन्ध में जिन जिन स्थानों में सत्ताईस भंग कहे गये हैं, उन उन स्थानों में यहाँ अभंगक कहना चाहिए और जिन स्थानों में अस्सी भंग कहे गये हैं, उन स्थानों में पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि वाले जीवों में भी अस्सी भंग कहना चाहिए। विवेचन-तिर्यञ्च पञ्चेन्द्रियों के विषय में नारकी जीवों के समान प्ररूपणा समझना चाहिए, किन्तु इतनी विशेषता है कि नरयिकों में जिन स्थानों में सत्ताईस भंग कहे गये हैं, उन स्थानों में यहां अभंगक कहना चाहिए । क्योंकि क्रोधादि उपयुक्तं पञ्चेन्द्रिय . तिर्यञ्च एक ही साथ बहुत पाये जाते हैं । नारकी जीवों में जहां अस्सी भंग कहे हैं वहां इसमें भी अस्सी भंग कहना चाहिए। तियंञ्च पञ्चेन्द्रिय जीवों में चार शरीर होते हैं-औदारिक, वैक्रियक, तंजस और Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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