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________________ भगवती सूत्र-श. १ उ. ५ पृथ्वीकायिक के स्थिति स्थान आदि २४९ ३, लोभी बहुत. मायी बहुन, मानी एक, ४. लोभी बहुत, मामी बहुत, मानी बहुत, ५ लोभी बहुत, मायी एक, क्रोधी एक, ६ लोभी बहुत, मायी एक, क्रोधी बहुत, ७. लोभी बहुत, मायी बहुत, क्रोधी एक, ८. लोभी बहुत, मायी बहुत, क्रोधी बहुत, ९. लोभी बहुत, मानी एक, क्रोधी एक, १०, लोभी बहुत, मानी एक, क्रोधी बहुत, ११. लोभी बहुत, मानी बहुत, क्रोधी एक, १२. लोभी बहुत, मानीं बहुत, क्रोधी बहुत ।। • चतुःसंयोगी ८ भंग १. लोभी बहुत, मायी एक, मानी एक, क्रोधी एक, २. लोभी बहुत, मायी एक, मानी एक, क्रोधी बहुत, ३. लोभी बहुत, मायी एक, मानी बहुत, क्रोधी एक, ४. लोभी बहुत, मायी एक, मानी बहुत, क्रोधी बहुत, ५. लोभी बहुत, मायी बहुत, मानी एक, क्रोधी एक, ६. लोभी बहुत, मायी बहुत, मानी एक, क्रोधी बहुत, ७. लोभी बहुत, मायी बहुत, मानी बहुत, क्रोधी एक, ८. लोभी बहुत, मायी बहुत, मानी बहुत, क्रोधी बहुत ।। इन सत्ताईस ही भंगों में 'लोम' शब्द को बहुवचनान्त ही रखना चाहिए। . नारकी जीवों में और असुरकुमारादि में जो भेद है.उसको जानकर प्रश्नसूत्र और उत्तरसूत्र कहना चाहिए । असुरकुमारादि असंहननी-संहनन रहित हैं । उनके शरीर संघात रूप से जो पुद्गल परिणमते हैं, वे इष्ट और सुन्दर होते हैं । उनके भवधारणीय शरीर का संस्थान ‘समचतुरस्र' होता है और उत्तरवैक्रिय रूप शरीर किसी एक संस्थान में संस्थित होता है । असुरकुमारादि में कृष्ण, नील, कापोत और तेजो ये चार लेश्याएँ होती है। असुरकुमारादि के भवनों की संख्या पहले बताई जा चुकी है। असुरकुमारों के चौसठ लाख भवन हैं. नागकुमारों के चौरासी लाख भवन हैं। सुवर्णकुमारों के बहत्तर लाख भवन हैं । विद्युतकुमार आदि छह के प्रत्येक के छहत्तर लाख छहत्तर लाख भवन है और पवनकुमारों के छयानवें लाख भवन हैं, तदनुसार ही प्रश्नसूत्र और उत्तरसूत्र कहना चाहिए। पृथ्वीकायिक के स्थितिस्थानादि १९१ प्रश्न-असंखिज्जेसु णं भंते ! पुढविकाइयावाससयसहस्सेमु एगमेगसि पुढविकाहयावासंसि पुढविक्काइयाणं केवइया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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