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________________ भगवती सूत्र-श. १ उ. ५ अवगाहना स्थान । २३५ - __ अवगाहना स्थान अवन १७२ प्रश्न-इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ओगाहणाठाणा पण्णत्ता ? १७२ उत्तर-गोयमा ! असंखेजा ओगाहणाठाणा पण्णत्ता । तं जहाः-जहणिया ओगाहणा । पएसाहिया जहन्निया ओगाहणा। दुप्पएसाहिया जहन्निया ओगाहणा जाव-असंखिज पएसाहिया जहणिया ओगाहणा । तप्पाउग्गुक्कोसिया ओगाहणा। . १७३ प्रश्न-इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि गिरयावासंसि जहणियाए ओगाहणाए वट्टमाणा णेरइया कि कोहोवउत्ता० ? . १७३ उत्तर-गोयमा ! असीइभंगा भाणियव्वा, जाव-संखिजपएसाहिया जहनिया ओगाहणा, असंखेजपएसाहियाए जहणियाए ओगाहणाए वट्टमाणाणं, तप्पउग्गुक्कोसियाए ओगाहणाए वट्टमाणाणं नेरइयाणं दोसु वि सत्तावीसं भंगा। . विशेष शब्दों के अर्थ-ओगाहणा ठाणा-अवगाहना स्थान, पएसाहिया-एक प्रदेशाधिक । __भावार्थ-१७२ प्रश्न-हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में के एक एक नरकावास में रहने वाले नारकियों के अवगाहना स्थान कितने कहे गये हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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