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भगवती सूत्र-श. १ उ. ५ अवगाहना स्थान
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__ अवगाहना स्थान
अवन
१७२ प्रश्न-इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ओगाहणाठाणा पण्णत्ता ?
१७२ उत्तर-गोयमा ! असंखेजा ओगाहणाठाणा पण्णत्ता । तं जहाः-जहणिया ओगाहणा । पएसाहिया जहन्निया ओगाहणा। दुप्पएसाहिया जहन्निया ओगाहणा जाव-असंखिज पएसाहिया जहणिया ओगाहणा । तप्पाउग्गुक्कोसिया ओगाहणा। . १७३ प्रश्न-इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि गिरयावासंसि जहणियाए ओगाहणाए वट्टमाणा णेरइया कि कोहोवउत्ता० ? .
१७३ उत्तर-गोयमा ! असीइभंगा भाणियव्वा, जाव-संखिजपएसाहिया जहनिया ओगाहणा, असंखेजपएसाहियाए जहणियाए
ओगाहणाए वट्टमाणाणं, तप्पउग्गुक्कोसियाए ओगाहणाए वट्टमाणाणं नेरइयाणं दोसु वि सत्तावीसं भंगा।
. विशेष शब्दों के अर्थ-ओगाहणा ठाणा-अवगाहना स्थान, पएसाहिया-एक प्रदेशाधिक ।
__भावार्थ-१७२ प्रश्न-हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में के एक एक नरकावास में रहने वाले नारकियों के अवगाहना स्थान कितने कहे गये हैं ?
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