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________________ भगवती सूत्र --शः १ उ. २ असंज्ञी जीवों का आयुष्य ऋद्धिशाली होते हैं और कई भवनवासी वाणव्यन्तरों से अल्प ऋद्धि वाले होते हैं । यह बात शास्त्र के इसी कथन से सिद्ध है । समान स्थिति वाले भवनवासी और वाणव्यन्तरों में वाणव्यन्तर श्रेष्ठ गिने जाते हैं। असंज्ञो जीवों का आयुष्य १०९ प्रश्न - कवि णं भंते ! असण्णिआउए पन्नत्ते ? १०९ उत्तर - गोयमा ! चउव्विहे असण्णिआउए पन्नत्ते, तं जहा:नेरहयअसणिआउ, तिरिक्ख मणुस्स- देवअसण्णिआउए । ११० प्रश्न - असण्णी णं भंते ! जीवे किं नेरइयाज्यं पकरेइ, तिरिक्ख मणु-देवाउयं पकरेह ? ११० उत्तर - हंता, गोयमा ! नेरइयाऽऽउयं पि पकरेह, तिरिक्खमस्स- देवाउयं पिपकरे । नेरइयाउयं पकरेमाणे जहण्णेणं दस वाससहस्साईं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जभागं पकरेइ, तिखिख जोपियाउयं पकरमाणे जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिओ मरस असंखेजड़भागं पकरेह; मणुस्साउए वि एवं चेव, देवाउयं जहा नेरहयाउए १५९ १११ प्रश्न - एयस्स णं भंते ! नेरइयअसण्णिआउयस्स, तिखिखमणु-देवअसण्णिआउयस्स कयरे कयरे० जाव-विसेसाहिए वा ? १११ उत्तर - गोयमा ! सव्वत्थोवे देवअसण्णिआउए, मणुस्सअसण्णी आउए असंखेज्जगुणे, तिरियअसण्णी आउए असंखेज्जगुणे, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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