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(६०) सिद्धांतरूपसें-चारनिक्षेप षय है ३ । और साक्षात्पणे अपणी ठकुराईका भोग कर रहा सो भाव निक्षेपका विषय है ४ ॥
॥ अब गूजरके पुत्रमें भी, चार निक्षेप घटाके दिखाते है ।
जो गूजरके पुत्रमें, "इंद्र" नाम रखा है सो भी नाम निक्षेप ही है १ और उस गूज्जरके पुत्रकी, पाषाणादिकसें, आकृति बनाई, सो स्थापना निक्षेपका विषय है २ । और गूज्जरपणाके ला यककी, पूर्वाऽपर अवस्था है सो, द्रव्य निक्षेपका विषय है ३ । और साक्षात्पणे गूज्जरका कार्यको कर रहा है सो, 'भावनिक्षेप' का विषय है ४। - अब मिशरी वस्तुमें, ढूंढनीने, एक स्थापना निक्षेप ही घटाया था, उनके भी चारो निक्षेप बतलाते है. जो मिशरी वस्तुका नाम है सोई, नाम निक्षेप है १ । और मिट्टीका, कागजका, आकार बनाना सो, मिशरी नामकी वस्तुका 'स्थापना निक्षेपका विषय है २।
और मिशरीकी, पूर्वाऽवस्था खांडरूप, अपर अवस्था मिशरीका पानीरूप है सो, 'द्रव्य निक्षेप' का विषय है ३ । और साक्षात् मिशरी है सो, 'भाव निक्षेप ' का विषय है ४ ॥
॥ अब 'मिशरी' नामकी, कन्याका, चार निक्षेप, करके दि · खाते है-कन्याका नाम मिशरी है सो, नाम निक्षेप है १ । और उ स कन्याकी, पाषाणादिकसें, आकृति बना लिई सो ' स्थापना नि. क्षेप' का विषय है २ । और कन्याभाव प्राप्त होनेकी, पूर्वाऽपर अवस्था है सो, द्रव्य निक्षेप' का विषय है ३ । और जो कन्या भाबको, प्राप्त हो गई है सो ‘भाव निक्षेप ' का विषय है ४ ॥ अब मिट्टीके कूज्जेका, चार निक्षेप, करके दिखावते है-जो 'कूज्जा' ऐसा नाम है सो, कूज्मेका, नाम निक्षेप' है १ । कागद, कपडा
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