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(७६) ढूंढनीजीका-४ भाव निक्षेप.
नहीं तो तीर्थकरोंका-१ नाम, और २ स्थापना, यहदोनों निक्षेप, विद्यमान हैं-उनकी योग्यता मुजब, उपासना करनेसें-इमारा, कल्याणकी ही प्राप्ति होगी। परंतु निरर्थक रूपकी तो कमी भी न होगी। ____ इति ढूंढक भक्त आश्रित-त्रणें पार्वतीका; चतुर्थ-भाव निक्षेपपका, स्वरूप ॥ ॥ इति पार्वती वस्तुका-चार २ निक्षेपका स्वरूप संपूर्ण।।
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