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________________ कामी पुरुषाश्रित-त्रणें पार्वतीका चारनिक्षेप ( २९ ) 100 र पणाकी - आजीजी करता है, और सर्वप्रकार सें निर्द्वधहोके, उस पार्वतीजी का - दर्शन, भजन, आदिमेंही - मसगुलपणे रहता है || 1 और दूनीयादारीका विशेष - प्रयोजनही, नहीं रखता है, जैसें कि- काठियावाड में- नरसिंह मेहताभक्तको, ऐसा बनाव, बन्या हुवा सुनते है | और दक्षिण में - तुकाराम आदि भक्तांकोभी- ऐसा बनाव, बन्या हुवा सुनते है || और जैनों कातो- सेंकडो पुरुषोंको जिन प्रतिमाका अधिष्ठायक देवताओंने हाजरपणे दर्शनदेके, संकटका निवारण किया हुवा है जैसे कि - श्रीपालराजाको, और सुबुद्धिमंत्री आदिको । और परोक्षपणे तो- जिनप्रतिमाका अधिष्ठायकों ने लाखो पुरुषोंको सहायताकीई हुई है, और अब भी केसरीयातीर्थ बाबाका, और भोगणी तीर्थ बाबाका अधिष्ठायक देवताओ ते भक्तजनोंको, सहायता करतेही है । सो जिन प्रतिमा (मूर्ति) की भक्तिकाही फल हे ।। इतनी बात प्रसंगसे- हमने लिखदिखाई है || - ।। इति शिवभक्त आश्रित -त्रण पार्वतीका चार चार निक्षेपोंका, स्वरूप ॥ अब कामी पुरुष आश्रित -त्रणें पार्वतीका चार चार --निक्षेपका स्वरूप, प्रदर्शित करते है ॥ - अब जो वेश्याका प्रेमी - कामी पुरुष है सोतो, न शिवपार्वतीजीको - नामसें, जानता है । और न तो ढूंढनी पार्वतीजीको नामसें, जानता है। केवल वैश्या पार्वतीका नामनिक्षेपकोही - आपना उपादेय स्वरूपसें, जानता है। जब पार्वती - ऐसों नाम, सुनता है Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004084
Book TitleDhundhak Hriday Netranjan athwa Satyartha Chandrodayastakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Dagdusa Patni
PublisherRatanchand Dagdusa Patni
Publication Year1909
Total Pages448
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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