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ढूंढनीजीके-कितनेक, अपूर्ववाक्य.
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किया, वरंच सूत्रप्रमाण, कथा, उदाहरण, तथा युक्ति, आदिसें हस्तामलक करानेमें कुछ भी बाकी नहीं छोडी । वरंच द्रव्यनिक्षेप, भाव निक्षेप, मूर्तिपूजन निषेध, चेइय शब्द वर्णन, शास्रोक्त वर्णनके अतिरिक्त प्रश्नोत्तरकी रीति ।। ___और पीतांबर धारियोंके-नवीन मार्गका मूलसूत्रों, माननीय जैन ऋषियोंके मंतव्यों, प्रबल युक्तियों में खंडन किया है । और युक्तियें भी ऐसी प्रवल दी हैकि--जिनको जैन धर्मारूढ-नवीन मतावलंबियोंके सिवाय, अन्य संप्रदायिकभी, खंडन नहीं कर सकते । वरंच बडे २ विद्वानोंनेभी श्लाघा ( प्रसंसा ) की है । इस पुस्तकमें विशेष करके श्री आत्माराम आनंदविजय संवेगीकृत, जैनमार्ग प्रदर्शक-नवीन कोल कल्पित ग्रंथोंको, पूर्ण अंदोलना की है ॥ इत्यादि ॥
पाठकवर्ग ? इस ढूंढनीजीका-जूठा गर्विष्ठपणेक। लेखमें,जैन धर्मके नियमानुसार एकभी बात हैया नहीं ? सो हमारा लेखकी साथ एकैक वातका पुक्तपणे विचार करते चले जाना ॥
हमारे ढूंढकभाइयों १ प्राचीन है या-अर्वाचीन ? यह भी वि. चार करते चले जाना । ढूंढनीजीका लेख-२ सूत्रों द्वारा है कि-केवल कपोल कल्पित ? __यह भी दूमरा विचार करना । और ३ युक्तिवाला है किकेवल कुयुक्तिवाला ? सोभी विचार करना । और ४ द्रव्य नि. क्षेप, ५ भाव निक्षेप, ६ मूर्तिपूजन निषेध, ७ चेइय शब्दका वर्णन शास्त्रोक्त है कि केवल ढूंढ कोका कपोल कल्पित है ?
इस बातोंका भी पुक्तपणे विचार करते चले जाना । फिर भी ढूंढनीजी लिखती है कि-पीतांबरधारियोंके-नवीन मार्गका, ८
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