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४० | जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
-ऐ ईमानवालो ! क्यों कहते हो ऐसी बात जो करते नहीं। ० व ला यर तव बा' .दुकुम बादन....
। ४६/१२ -तुममें से कोई किसी की पीठ पीछे निन्दा न करे। ० या अय्युहऽऽन्नासु कुलुऽमिम्माफिऽऽल आंद २/१६८
हलाहन तय्यिबन् -ऐ लोगो ! जमीन की चीजों में से हलाल की चीजें खाओ। ० व ला तन्कुसुऽल मिक्पाल वऽल मीजान
११/८४ -नाप-तौल में कमी न किया करो। ० व ला तुबजिर तबजीरन् 5० फिजूलखर्ची न करो।
इसी प्रकान कुरान शरीफ में खैरात (दान), भाईचारा आदि की नीति का प्रतिपादन किया गया है । शराब, जुआ, सूदखोरी (अत्यधिक ब्याज लेना) आदि कार्यों को तथा रिश्वत को शैतान के काम कहकर अनैतिक कार्य घोषित किया गया है।
हलाल और ईमान की रोटी खाने के आदेश में पुरुषार्थ नीति की झलक स्पष्ट है तथा अनैतिकता का निषेध है । कम तौल-नाप का निषेध व्यापार-नीति का उच्चमान स्थापित करता है।
व्यवहार नीति की दृष्टि से कुरान शरीफ एक समृद्ध ग्रन्थ है । ईसाई धर्म की नीति
ईसाई धर्म के प्रवर्तक महात्मा ईसा थे । इनका जन्म आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व हुआ था। इनके धर्म का प्रचार संसार में सर्वाधिक है । सारे संसार में इसके अनुयायी फैले हुए हैं ।
इनके धर्म का मूलाधार मानवता या मानव सेवा है। अतः इस धर्म की नीति भी मानवतावादी है । मानवता इसका प्रमुख तत्व है।
मानव में मानवता जगाने के लिए इन्होंने नम्रता, दया, क्षमा, प्रेम आदि बातों पर विशेष बल दिया।
१ तुलना करिए-प्राण जाए पर वचन न जाई।
-~रामचरित मानस
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