________________
३८ | जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
कन्फ्युसियस की नीति
चीन का दूसरा महान विचारक कन्फ्यूसियस हुआ । इसका समय भी ईसापूर्व छठी शताब्दी है ।
कफ्यूसियस की नीति का सारतत्व है - भाईचारा, प्रेम और लोकव्यवहार के लिए इसकी नीति है - जो तुम्हें नापसन्द है, वह दूसरों के लिए हरगिज मत करो । '
यह दोनों सिद्धान्त ही कन्फ्यूसियस की नीति के आधार हैं । इन्हीं में उसकी सम्पूर्ण नीति समाई हुई है। जरथुस्त्र की नीति
जरथुस्त्र फारस के बहुत बड़े विचारक थे। इनका समय ईसापूर्व छठी शताब्दी का है । इनके विचारों का संकलन अवेस्ता नाम के ग्रन्थ में हुआ है । इस ग्रन्थ का पारसियों के हृदय में बहुत सम्मान है। यह उनका प्रमुख धर्मग्रन्थ है, जिस प्रकार मुसलमानों का, धर्मग्रन्थ कुरान है ।
पारसी धर्म की नीति का प्रमुख आधार मैत्री है, कहा है-
'मैं उस मैत्री की याचना करता हूँ जो सबसे श्रेष्ठ मैत्री है। ऐसी श्रेष्ठ मंत्री जैसी सूर्य और चन्द्रमा के बीच में है । 2
लोकनीति के सन्दर्भ में मनुष्य के तीन प्रमुख कर्तव्य' बताये गये हैं१. जो दुश्मन है, उसे दोस्त बनाना,
२. जो दुष्ट है, उसे सदाचारी बनाना,
३. जो अशिक्षित है, उसे शिक्षित बनाना ।
4
दैनिक व्यवहार को नीतिपूर्वक चलाने के लिए कहा गया है• किसी की निन्दा मत करो ।
• मन में लोभ-लालच का भाव मत रखो ।
१ तुलना करिये - आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत ।
J
तथा प्रथम पृष्ठ पर अंकित जैनाचार्य का वचन - जं इच्छसि ... जिणसासणं ।
श्रीकृष्णदत्त भट्ट
२ ख्वरशत यश्त ५; उद्धृत - पारसी धर्म क्या कहता है ? ३ शयस्त ला शयस्त २० / ६
४ दीनाई मनोकी खिरत २०/३-७
Jain Education International
"
17
For Personal & Private Use Only
ار
11
पृ० ५३
पृ० ५२
www.jainelibrary.org