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नैतिक उत्कर्ष | २८७
चोरी हो अथवा निन्द्य चोरी हो, सभी अनैतिक हैं । नैतिकता की सीमा के नीचे हैं। सभी प्रकार की चोरियां निन्दित, गहित और अपयश का कारण हैं, दुर्नीतिपूर्ण आचरण को बढ़ावा देने वाली हैं। इनसे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र का वातावरण दूषित होता है ।
स्वदार-सन्तोषव्रत स्वदारसन्तोष--यह नाम पुरुष की अपेक्षा से है कि वह अपनी विवाहिता स्त्री में ही सन्तोष रखे, अन्य स्त्रियों के लिए मन में भी बुरे विचार न लाये । इसी प्रकार स्त्री भी स्व-पति में सन्तोष रखे, अन्य पुरुषों के प्रति विकारी भाव मन में भी न लाये । इतना ही नहीं, विवाहित पतिपत्नी भी संयम से रहें, जितना संभव हो सके, ब्रह्मचर्य का पालन करें। इसलिए इसे ब्रह्मचर्याणुव्रत भी कहा गया है।
___ आगमों में पत्नी के लिए धर्मसहायिका, सहधर्मचारिणी आदि विशेषण प्रयुक्त हुए हैं । जनसाधारण में भी पत्नी के लिए 'धर्मपत्नी' शब्द व्यवहृत होता है। ___इसका अभिप्राय यह है कि पत्नी (विवाहित पत्नी) को पति की धर्म-साधना में सहायक होना चाहिए। उसका कर्तव्य है कि वह पति को नीति मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे। ऐसी पत्नी ही धर्मपत्नी के गौरवमय पद से सुशोभित होती है।
ब्रह्मचर्य अणुव्रत की साधना करने वाले सद्गृहस्थ को ऐसे सभी दृश्य देखने तथा क्रिया-कलापों से बचना चाहिए, जिनसे सेक्स सम्बन्धी कुत्सित भावनाएँ उत्तेजित होने की सम्भावना हो ।
__ ऐसी बातें अथवा निमित्त हैं-१ मद्य २ मांस ३ घ् त, ४-६ उत्तेजक गीत, संगीत तथा नृत्य ७ शारीरिक शृंगार ८ उत्तेजक पदार्थ एवं दृश्य, ६ स्वच्छन्दता १० निरुद्देश्य इधर-उधर घूमना, सैर-सपाटे करना। . साथ ही उसे गरिष्ठ, दुष्पाच्य और तामसिक भोजन से भी बचना
1.
Wine, meat, gambling, music including songs and dance, bodily decoration, intoxication, libertines and aimless wandering-are ten concommitants of sexual desire. . -K. K. Handiqui : Yashastilaka and Indian culture,
p. 266-267.
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