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१३६ | जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
प्रणाली (Scientific Method) और ( २ ) दार्शनिक प्रणाली (Philosophical Method).
वैज्ञानिक प्रणाली भी और उपविभाजित हुई, जैसे
(१) भौतिक और जैविकीय प्रणाली ( Physical and Biological Method)
( २ ) ऐतिहासिक अथवा जननिक विधि ( Historical or Genetic Method)
(३) मनोवैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक प्रणाली (Psychological and Analytic Method)
दार्शनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों में अन्तर
(१) आधारगत भेद : परम सत्य तथा प्रत्यक्ष और अनुभव - दार्शनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों में प्रमुख भेद सैद्धान्तिक आधार का है । दार्शनिक प्रणाली परम सत्य को आधार मानती है और उसी के 'अनुसार नैतिक आदर्शों का रूप निर्धारित करती है ।
वैज्ञानिक प्रणाली का आधार अनुभव और प्रत्यक्ष है । जैसा अनुभव होता है और व्यक्ति एवं समाज में जिस प्रकार प्रवृत्तियाँ प्रत्यक्ष दिखाई देती हैं, वैज्ञानिक प्रणाली इन्हीं को आधार मानकर नैतिक आदर्शों को विकसित करती है ।
(२) वर्णनगत भेद - दार्शनिक प्रणाली आलोचनात्मक ( critical ) है | इसमें चिन्तन का प्रमुख स्थान है । गम्भीर चिन्तन, विश्लेषण और अन्तर्दृष्टि की सहायता से प्रदत्तों (dates ) - प्रत्यक्ष तथ्यों का अर्थ समझाने का प्रयास किया जाता है ।
लेकिन वैज्ञानिक प्रणाली वर्णनात्मक (descriptive ) है । इसमें अनुभव और प्रत्यक्ष के आधार पर प्रदत्तों को एकत्रित करके उनका वर्गीकरण किया जाता है तथा सामान्य नियम निर्धारित किये जाते हैं । इस प्रकार यह प्रणाली तथ्यात्मक भी है ।
(३) विश्लेषण और समन्वय - दार्शनिक प्रणाली समन्वय पर अधिक बल देती है जबकि वैज्ञानिक प्रणाली विश्लेषण पर । दार्शनिक प्रणाली विभिन्न प्रवृत्तियों का समन्वय करके नैतिक आदर्श स्थापित करती है; जबकि वैज्ञानिक प्रणाली उन प्रवृत्तियों के विश्लेषण के आधार पर नैतिक आदर्श स्थापित करने का प्रयास करती है ।
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