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________________ नीतिशास्त्र की प्रकृति और अन्य विज्ञान (NATURE OF ETHICS AND OTHER SCIENCES) नीतिशास्त्र की प्रकृति (Nature of Ethics) नीतिशास्त्र की प्रकृति क्या है ? वह कला है अथवा विज्ञान ? यदि वह कला नहीं है तो क्यों नहीं है ? और यदि वह विज्ञान है तो क्यों है ? और वह किस प्रकार का विज्ञान है ? इन बातों पर पश्चिमी चिन्तकों ने काफी ऊहापोह तथा चिन्तन-विवेचन किया है। जैसाकि पिछले पृष्ठों में विवेचन किया जा चुका है कि पश्चिमी विचारक नीतिशास्त्र को नियामक विज्ञान मानते हैं, व्यावहारिक अथवा प्राकृतिक विज्ञान नहीं। साथ ही वे इसे कला भी नहीं मानते । वे अपने वचन के समर्थन में तर्क देते हुए कहते हैं कि चिकित्सा विज्ञान एक व्यावहारिक विज्ञान है । वह आदर्श स्वास्थ्य को अपना लक्ष्य नहीं बनाता, अपितु इस बात पर अपना सम्पूर्ण ध्यान केन्द्रित करता है कि रोग को कैसे मिटाया जा सकता है ? रोगी को कैसे आराम पहुँचाया जाय ? __ जबकि नीतिविज्ञान अपनी दृष्टि आदर्शों पर केन्द्रित रखता है। वह यह तो बताता है कि मानव-जीवन की आदर्श स्थिति क्या है, उसका १ नीतिशास्त्र की रूपरेखा, पृष्ठ ५-६ २ अंग्रेजी में चिकित्सक के लिए यह कहावत प्रसिद्ध है A medical practitioner is he, who cures the diseace and not the patient. चिकित्सक वह है जो सिर्फ रोग का निवारण करे, रोगी को पूर्ण स्वास्थ्यलाभ हो अथवा न हो। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004083
Book TitleJain Nitishastra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1988
Total Pages556
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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